जामा मस्जिद समिति के सदर (अध्यक्ष) जफर अली के अनुसार, समिति ने एएसआई को एक औपचारिक पत्र भेजकर मस्जिद की सफाई और सजावट के लिए मंजूरी का अनुरोध किया है। उन्होंने यह भी बताया कि सदियों से मस्जिद की सफाई और सजावट बिना किसी कानूनी अड़चन के की जाती रही है, लेकिन पिछले वर्ष 24 नवंबर को हुई हिंसा की घटना के बाद यह कदम उठाना जरूरी हो गया। उन्हें इस बात की चिंता थी कि बिना अनुमति के इस कार्य को करने से कोई विवाद उत्पन्न हो सकता है, इसलिए उन्होंने एएसआई से इसकी अनुमति मांगी है।
“विवाद से बचने के लिए अनुमति जरूरी”
उन्होंने कहा कि इस बार एहतियात के तौर पर शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए समिति ने आधिकारिक अनुमति प्राप्त करने का निर्णय लिया है। जफर अली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि धर्मस्थलों की सफाई, रंगाई और सजावट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यह प्रक्रिया हमेशा से होती रही है और इस बार भी इसे बिना किसी रोक के किया जाना चाहिए, लेकिन किसी भी विवाद से बचने के लिए यह अनुमति जरूरी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एएसआई इस संबंध में अनुमति देगा। उन्होंने बताया कि अतीत में कभी भी इस मुद्दे पर कोई कानूनी आपत्ति नहीं उठाई गई है, हालांकि 2018 में मस्जिद के आस-पास सार्वजनिक सुविधा के लिए ग्रिल लगाने को लेकर एक मुद्दा उठाया गया था, जिसे पिछली समिति ने निपटाया था।