भारतीय सनातन परंपराओं के पुनर्जागरण और मंदिरों को आधुनिकीकरण से जोड़ने के उद्देश्य से इन दिनों देश भर में महासंगम यात्रा निकाली जा रही है. जिसका मुख्य उद्देश्य धर्मिक स्थलों की महिमा को पुनर्स्थापित किए जाने के साथ ही ऐसे गुरुकुलों को फिर से स्थापित करना है जो कि बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इन स्थानों पर पुजारियों को टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाएगा. साथ ही उन्हें हिंदी, संस्कृत के साथ फ्रेंच, इंग्लिश भी सिखाई जाएगी. जिससे कि वह न सिर्फ अपने द्वारा कहे जाने वाले मंत्रों को खुद समझ सकें. उन्होंने कहा है कि संस्कृत के अलावा फ्रेंच और इंग्लिश में भी मंत्र होने चाहिए ताकि विदेशों में सनातन की अलख जगाई जा सके.
अंतरराष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश यादव ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंग, 4 धाम, 37 नदियों और 20 शक्तिपीठ तक निकाली जा रही इस यात्रा की शुरुआत 25 जनवरी को प्रयागराज से हुई थी. जहां साधु संत और महामंडलेश्वरों ने इस महासंगम यात्रा में बड़ी संख्या में भागीदारी की थी. महाकुंभ में 108 त्रिशूलों के जलाभिषेक से यात्रा की शुरुआत हुई. जिन्हें पूजन अर्चन के बाद 108 शिव मंदिरों में स्थापित किया जाएगा. यह यात्रा 12 ज्योतिर्लिंगों और 4 धामों में शिवलिंग और त्रिशूल प्रतिष्ठा, मंदिरों के सौंदर्यीकरण, सफेदी, लाइटिंग, पानी और वाई-फाई जैसी सुविधाओं से जोड़ेगी.
सरकारीकरण से मुक्त हों मंदिर
अंतर्राष्ट्रीय मंदिर प्रबंधक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश यादव ने बताया कि हिंदू मंदिर सरकारी तंत्र से मुक्त होने चाहिए और इन्हें हिंदू धर्मावलंबी और साधु संतों के माध्यम से ही चलाया जाए. यही हमारी मांग है. इस मांग को करने वाले हम अकेले नहीं हैं पूर्व में भी कई संगठन इस मांग को कर चुके हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि हिंदू धर्मप्रेमी मंदिरों का रखरखाव करें और कोई एसडीएम, तहसीलदार इस व्यवस्था में ना हो. आज बाबा महाकाल की नगरी से हमने यह आगाज किया है.
हिंदू धर्मावलंबी मंदिरों पर धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं से अनुदान लिया जाता है किसी की 1100 की रसीद व्यवस्था के नाम पर काटी जाती है तो किसी की 5100 की. देश में 100 ऐसे बड़े तीर्थ है जहां सरकारीकरण है लेकिन वक्फ बोर्ड में सरकार आने वाले लोगों से कोई राशि नहीं लेती है. जबकि हम अगर अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं तो इसका रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है साथ ही हज की यात्रा पर जाने के लिए सब्सिडी और अनुदान की सुविधा दी जाती है, हमारी सरकार से मांग है कि सरकार हमारे 100 तीर्थों को सरकारीकरण से मुक्त कर दे.