Breaking News

महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले से क्यों शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी यानी एसजीपीसी नाराज, शिरोमणि अकाली दल और एसजीपीसी ने संशोधन का खुलकर विरोध किया

महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले से क्यों शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी यानी एसजीपीसी नाराज हो गई है? शिरोमणि अकाली दल और एसजीपीसी ने साल 1956 के ‘सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर अभचल नगर साहिब कानून’ में संशोधन का खुलकर विरोध किया है.

एकनाथ शिंदे की सरकार ने नांदेड़ में स्थित सिखों के धार्मिक महत्त्व के इस गुरुद्वारे से संबंधित कानून में कुछ तब्दीली की है. ये बदलाव पंजाब की राजनीतिक पार्टी और दूसरे कुछ इदारों को रास नहीं आई है. लिहाजा, उन्होंने इस संशोधन को तत्काल वापस लेने या यूं कहें कि रद्द करने की आवाज उठाई है.

‘सिखों के मामले में सीधा हस्तक्षेप’

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता हैं दलजीत सिंह चीमा, उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार मनमाने ढंग से गुरुद्वारे के बोर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में लेना चाहती है. चीमा ने कहा सरकार की इस कोशिश को सिख संगत कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. चीमा ने महाराष्ट्र सरकार के संशोधन को सिखों के मामले में सीधा हस्तक्षेप कहा और तुरंत इस फैसले को रद्द करने की मांग की.

‘गुरुद्वारे का नियंत्रण लेने का प्रयास’

केवल शिरोमणि अकाली दल के नेता ही नहीं बल्कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के हरजिंदर सिंह धामी ने भी सरकार के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है. धामी ने कहा कि, ‘तख्त श्री हजूर साहिब नांदेड़ गुरुद्वारा बोर्ड’ में सिख संगठनों के सदस्यों की संख्या को कम करने की जो कोशिश हुई है, यह ठीक नहीं है.

धामी ने भी इसको सीधा हस्तक्षेप कहा. धामी ने दावा किया कि इस तरह के प्रस्ताव को लाए जाने से पहले सिखों के साथ कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया. एसजीपीसी का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार का गुरुद्वारे के बोर्ड में नोमिनेटेट सदस्यों की संख्या बढ़ाने और सिख संगठनों के सदस्यों को कम करने का फैसला गुरुद्वारे का नियंत्रण लेने का प्रयास है.

 

एसजीपीसी की नाराजगी की वजहें

चीमा का दावा है कि महाराष्ट्र सरकार के इस नए संशोधन के बाद ‘नांदेड़ गुरुद्वारा बोर्ड’ के कुल 17 सदस्यों में से 12 को नॉमिनेट किया जाएगा. साथ ही एसजीपीसी जो पहले चार सदस्यों को भेजती थी, वह घटा कर दो कर दी गई है. चीफ खालसा दीवान और हजूरी सचखंड दीवान के नॉमिनेशन को भी समाप्त करने पर एसजीपीसी को गहरी आपत्ति हैं.

इसके अलावा पहले के कानून में दो सिख सांसदों को भी बोर्ड में शामिल करने का नियम था जिस बारे में एसजीपीसी का दावा है कि अब उसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. नांदेड़ गुरुद्वारा प्रबंधन बोर्ड में किए गए बदलावों को लेकर चीमा ने फिर से विचार करने को कहा है और गुरुद्वारा प्रबंधन में सरकारी प्रभाव को बढ़ाने वाली ‘साजिशों’ को वापस लेने की बात की है.

About Manish Shukla

Check Also

लखनऊ: पारिवारिक विवाद में प्रॉपर्टी डीलर एवं बीजेपी नेता अतुल सिंह चौहान की पत्नी गुंजन ने खुद को गोली मार ली, जाने वजह

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक प्रॉपर्टी डीलर एवं बीजेपी के नेता की पत्नी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *