म्यांमार के अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम रोहिंग्या देश छोड़कर भाग रहे थे, उसी समय उन पर हमला किया गया, इस ड्रोन हमले में 150 रोहिंग्या नागरिक मारे गए. यह हमला म्यांमार के पश्चिमी शहर रखाइन में किया गया. कई गवाहों ने कहा कि म्यांमार से भाग रहे रोहिंग्या पर ड्रोन हमले में कई दर्जन लोग मारे गए, जिनमें बच्चे भी शामिल थे. नदी के किनारे लोगों की लाशें पड़ी हुई मिली.
चार गवाहों, कार्यकर्ताओं ने ड्रोन हमलों की जानकारी देते हुए बताया कि, यह रोहिंग्या मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश जाने की कोशिश कर रहे थे. यह लोग जो बांग्लादेश में नफ नदी पार करके माउंगडॉ शहर से भागने की कोशिश कर रहे थे. राज्य के राखीन जातीय समूह की सैन्य शाखा, अराकान सेना ने रोहिंग्या लोगों पर हुए इस हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया.
नदी किनारे बिखरे शव
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने एक बयान में कहा, पिछले हफ्ते से जो रोहिंग्या लोग भाग कर बांग्लादेश आ रहे हैं वो काफी घायल हैं जिनका इलाज किया जा रहा है. इस हमले से बचे दो लोगों ने इस हमले का दोषी अराकान सेना को ठहराया, अगर इस हमले की पुष्टि हो जाती है, तो यह देश के गृहयुद्ध में नागरिकों से जुड़े सबसे घातक हमलों में से एक होगा. सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे भयानक वीडियो में नदी के किनारे सड़क पर दर्जनों लोगों के जिसमें बच्चे भी शामिल हैं उनके शव बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं.
म्यांमार में युद्ध
साल 2021 से म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है, जिसके चलते किसी भी तरह की यात्रा की इजाजत नहीं थी और यात्रा पर कड़े प्रतिबंध लगे हुए थे. लोकतंत्र समर्थक गुरिल्ला और जातीय अल्पसंख्यक सशस्त्र बल देश के सैन्य शासकों को हटाने का प्रयास कर रहे हैं, देश की सेना ने साल 2021 में आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार से सत्ता छीन ली थी, जिसके बाद से देश में युद्ध चल रहा है. हालांकि, रखाइन में हुए इस हमले ने रोहिंग्या अल्पसंख्यक के सदस्यों के खिलाफ हिंसा के फिर से शुरू होने की आशंका पैदा कर दी है.
गर्भवती पत्नी और बच्ची को खोया
इस हमले में एक चश्मदीद, 35 वर्षीय मोहम्मद इलियास ने बताया कि उनकी गर्भवती पत्नी और 2 साल की बेटी हमले में घायल हो गए थे जिसके बाद उन दोनों की मौत हो गई. उन्होंने बताया जिस वक्त ड्रोन ने रोहिंग्या मुस्लिमों पर हमला करना शुरू किया तो वो अपनी पत्नी और बेटी के साथ तट पर खड़ा था. दूसरे चश्मदीद, 28 वर्षीय शमसुद्दीन, जोकि इस समय बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर में मौजूद है , उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी और नवजात बेटे के साथ जिंदा बच पाए हैं, साथ ही उन्होंने कहा, हमले के बाद कई लोग मारे गए और ”कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हैं और वो दर्द से चिल्ला रहे हैं.”
म्यांमार में क्यों और कब से है रोहिंग्या संकट? ड्रोन अटैक में 150 से ज्यादा को मार डाला
म्यांमार में एक बार फिर रोहिंग्याओं को हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. म्यांमार के 2017 से ही हालात बिगड़े हुए हैं और 7 साल भी हालात काबू में नहीं आ रहे हैं. म्यांमार की आंग सान सू सरकार के तख्तापलट के बाद से ही देश की सेना और अराकान आर्मी के बीच संघर्ष जारी है. म्यांमार के पश्चिमी इलाके रखाइन में सोमवार को हुए आर्टिलरी और ड्रोन हमले में लगभग 150 रोहिंग्या मुसलमानों के मारे जाने की खबर है. रोहिंग्या पर हुए इस हमले का आरोप अराकान आर्मी पर लगा है.
डॉक्टर विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक पिछले हफ्ते म्यांमार से बांग्लादेश भागकर आए रोहिंग्या नागरिकों ने बताया कि उनके समुदाय के ऊपर ड्रोनों और आर्टिलरी शेल्स से हमला हुआ है. बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच भी रोहिंग्या नागरिक अपना देश छोड़कर यहां आने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि अराकान आर्मी ने इस हमले के आरोपों को खारिज कर दिया है.
चारों तरफ दिखी लाशें
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो में देखा जा सकता है कि कीचड़ के मैदान में लोगों के शव पड़े हुए हैं. रॉयटर्स को एक चश्मदीद ने बताया कि उसने कम से कम 70 शवों को देखा है. दावा किया जा रहा है कि मरने वालों की संख्या 150 से कहीं ज्यादा हो सकती है.
अराकान आर्मी की प्रतिक्रिया
अराकान आर्मी ने हमले के आरोपों को नकारते हुए दावा किया कि यह हमला उनके कंट्रोल वाले इलाके में नहीं हुआ है. अराकान आर्मी ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. हालांकि, हमले के रोहिंग्या सरवाइवर्स और एक्टिविस्ट्स का दावा है कि ये हमला अराकान आर्मी ने किया है. एक्टिविस्ट्स का दावा है कि वे लगातार रोहिंग्या मुसलमानों पर हमले करते आ रहे हैं. इससे पहले भी अराकान आर्मी पर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगते रहे हैं.
2017 से जारी है हिंसा
2017 में म्यांमार की सेना की ओर से की गई आक्रामक कार्रवाई के बाद 740,000 से ज्यादा रोहिंग्या नागरिक बांग्लादेश भाग गए थे और वे आज भी वहां के रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं. म्यांमार में बचे रोहिंग्या नागरिक आज भी अपने नागरिक अधिकारों की कमी का सामना कर रहे हैं.
इस नई हिंसा का आरोप म्यांमार की सरकार ने अराकान आर्मी पर लगाया है, लेकिन रोहिंग्या को लेकर एकतरफा बयानबाजी और प्रोपगैंडा की भी भरमार है, जो किसी भी नतीजे पर पहुंचने में मुश्किल पैदा करता है.
इस समय वक्त म्यांमार में गृह युद्ध जैसे हालात हैं वहां की सेना और अराकान आर्मी में संघर्ष जारी है. देश के नागरिकों के लिए अभी शांति की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.