प्रख्यात मिसाइल वैज्ञानिक डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के नए चीफ बन गए हैं. उन्होंने सोमवार यानी 1 दिसंबर को अपना पद ग्रहण किया है. उन्होंने अतुल दिनकर राणे का स्थान लिया है. इससे पहले डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, DRDO के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पद पर थे.
साल 2021 में प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया पुरस्कार-2020 से सम्मानित किया गया था. उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से B.Tech और NIT वारंगल से PhD की है. डॉ. जोशी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ प्रोडक्शन इंजीनियर्स सहित कई संस्थाओं के फेलो भी रहे हैं.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस का क्या है मुख्य काम
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस की संयुक्त कंपनी है, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस का एक उत्पादन केंद्र हैदराबाद में है और दूसरा उत्पादन केंद्र तिरुवनंतपुरम में है. कंपनी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक नई उत्पादन इकाई स्थापित करने की योजना बना रही है.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस का मुख्य उत्पाद ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल है, जो दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में से एक है. यह मिसाइल भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, और भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग की जाती है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने हाल के वर्षों में कई नए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का विकास किया है, जिनमें ब्रह्मोस-II हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल और ब्रह्मोस-एयर लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल शामिल हैं.
ब्रह्मोस-एनजी नामक एक नई मिसाइल का हो रहा विकास
ब्रह्मोस एयरोस्पेस का मिशन भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और देश की रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मदद करना है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी से मिलकर बना है. यह कंपनी ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण करती है, जो अपनी गति और सटीकता के लिए जानी जाती है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस का मुख्य उत्पाद ब्रह्मोस मिसाइल है, जो एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. यह मिसाइल 800 किमी की दूरी तक मार करने में सक्षम है और इसकी गति मैक 2.8 है.
कंपनी मौजूदा समय में ब्रह्मोस-एनजी नामक एक नई मिसाइल का विकास कर रही है, जो एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी. ब्रह्मोस एयरोस्पेस की उत्पादन क्षमता वर्तमान में 100 मिसाइल प्रति वर्ष है, लेकिन कंपनी इसे 2026 तक 400 मिसाइल प्रति वर्ष तक बढ़ाने की योजना बना रही है.