बरेलीः यूपी के बरेली की एक स्थानीय अदालत ने मासूम बच्चों की गवाही के आधार पर पिता को 10 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने एक शख्स को पत्नी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के जुर्म में 10 साल कैद की सजा सुनाई। सबसे खास बात यह रही कि अदालत ने आरोपी को उसके बच्चों की गवाही के आधार पर दोषी ठहराया।
बेटा और बेटी ने कोर्ट में पिता के खिलाफ गवाही दी
अपर जिला एवं शासकीय अधिवक्ता दिगंबर सिंह ने बुधवार को बताया कि 29 अगस्त 2023 को संजय नगर निवासी विकास उपाध्याय ने पत्नी वंदना के साथ मारपीट की थी और अगले दिन वंदना ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। उन्होंने बताया कि इस मामले में विकास के 11 वर्षीय बेटे और आठ साल की बेटी ने भी अदालत में अपने पिता के खिलाफ गवाही दी थी। दोनों बच्चों ने कहा था कि उनका पिता अक्सर उनकी मां को मारता—पीटता और प्रताड़ित करता था।
आरोपी पत्नी को कहता था “तुम मर क्यों नहीं जाती?”
बच्चों ने यह भी बताया कि उनके पिता अक्सर उनकी मां से कहते थे, “तुम मर क्यों नहीं जाती?” अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने मंगलवार को विकास को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाया और उसे 10 साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी। इस मामले में वंदना की मां कामिनी सक्सेना की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष ने अपने आरोपों के समर्थन में दो बच्चों सहित आठ गवाहों को पेश किया था।
बच्चों ने कोर्ट को बताई सच्चाई
10 वर्षीय बेटे ने अदालत में गवाही दी कि उसके पिता नियमित रूप से उसकी मां को बालों से घसीटते थे और उसे बेल्टों से पीटा। उसकी मौत से एक दिन पहले, उसने उसे बच्चों के सामने फिर से पीटा था। लड़के ने न्यायाधीश को बताया कि उसकी माँ बहुत परेशान थी और उसने फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी। 8 साल की बेटी ने अदालत में यही बात बताई और कहा कि उसके पिता ने उसकी माँ से “जाओ और मर जाओ” कहा था। बच्चों के बयान को गंभीरता से लेते हुए, अदालत ने कहा कि एक बेटा अपने पिता के खिलाफ तब तक गवाही नहीं देगा जब तक कि यह सच न हो, जिससे उसका बयान मामले में सबूत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।