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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस पर जमकर हमला बोल कहा कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने संविधान को एक परिवार की निजी जागीर मान संसद के साथ धोखाधड़ी की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने संविधान को एक परिवार की निजी जागीर माना और संसद के साथ धोखाधड़ी की. साथ ही अमित शाह ने आरक्षण, काका कालेलकर की रिपोर्ट और मंडल कमीशन का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा.

भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा पर दो दिवसीय चर्चा पर सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए अमित शाह ने दावा किया कि मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए कांग्रेस 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को तोड़ना चाहती है. उन्होंने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का भी आरोप लगाया.

संविधान को अपनी निजी जागीर माना

उन्होंने कहा कि पिछले 75 साल में कांग्रेस ने संविधान के नाम पर धोखाधड़ी की. नेहरू-गांधी परिवार न केवल पार्टी को अपनी निजी संपत्ति समझा, बल्कि संविधान को अपनी निजी जागीर की तरह माना. अमित शाह ने कांग्रेस शासित दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण लाने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया.

धर्म के आधार पर नहीं होगा आरक्षण

गृह मंत्री ने कहा कि संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं होगा. कांग्रेस सिर्फ 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है. शाह ने कहा कि आज, एक बार फिर मैं इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि जब तक बीजेपी के पास एक भी सांसद है, हम धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देंगे.

अमित शाह ने कहा कि 1955 में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था, लेकिन रिपोर्ट कभी सामने नहीं आई. अगर काका कालेलकर आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया होता, तो मंडल आयोग का गठन नहीं किया गया होता. 1980 में मंडल आयोग की सिफारिशें सामने आईं, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया. यह तब लागू किया गया, जब 1990 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई.

अपने फायदे के लिए संविधान में किया संशोधन

अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने और अपने फायदे के लिए संविधान में संशोधन किया. उन्होंने कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि इसने पिछड़े वर्गों के लाभ के लिए कभी काम नहीं किया. शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम महिलाओं को सालों तक उनके अधिकारों से वंचित रखा. कांग्रेस ने एक परिवार का महिमामंडन करने के अलावा कुछ नहीं किया.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने सिर्फ अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निर्लज्जता से संविधान में कई संशोधन किए. अमित शाह ने बताया कि बीजेपी ने 16 साल देश पर शासन किया और उसने 22 बार संविधान में संशोधन किया, वहीं कांग्रेस ने 55 साल में 77 बार संविधान में परिवर्तन किया है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए, लेकिन उसका उद्देश्य क्या था? क्या हासिल करना था? क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए यह परिवर्तन किए गए? जिन्हें अधिकार नहीं है ऐसे लोगों को समान अधिकार देने के लिए परिवर्तन किए गए? या अपनी राज सत्ता को बचाने के लिए? इसी से पार्टी का चरित्र, पार्टी के चलने की पद्धति और पार्टी का संविधान के प्रति विश्वास परिलक्षित हो जाएगा.

बाबा साहेब का किया जिक्र

अमित शाह ने इस क्रम में कांग्रेस की ओर से किए गए चार और बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान किए गए चार संशोधनों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने बहुत सोच समझकर कहा था कोई संविधान कितना भी अच्छा हो वह बुरा बन सकता है, अगर जिन लोगों पर उसको चलाने की जिम्मेदारी है, वह अच्छे ना हो. उन्होंने कहा कि उसी तरीके से कोई संविधान कितना भी बुरा हो वह अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो.

उन्होंने कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय संविधान में पहला संशोधन किया गया और उसमें 19ए जोड़ा गया. शाह ने कहा कि ये संशोधन अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए किया गया. इसी तरह 24वां संशोधन किया गया और इसके माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकार कम कर दिए गए.

देश की परंपराओं का पूरा ध्यान

उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्हें शर्म करनी चाहिए. शाह ने कहा कि भारत का संविधान किसी की नकल नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बात लेने के साथ-साथ इसमें अपने देश की परंपराओं का पूरा ध्यान रखा गया है. गृह मंत्री ने गुलामी की मानसिकता से निकलने पर बल देते हुए कहा कि अगर इंडिया के चश्मे से देखोगे, तो भारत कभी समझ नहीं आएगा. पूरा जीवन निकल जाएगा. इसीलिए विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम भी इंडिया रखा है.

अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना कहा कि अभी कुछ राजनेता आये हैं, 54 साल की आयु में अपने को युवा कहते हैं. घूमते रहते हैं और संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि संविधान बदलने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 368 में ही है.

‘अरे भाई जरा तो शर्म करो’

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस पार्टी के लोग चुनाव हारने के बाद ईवीएम को लेकर घूमते हैं कि ईवीएम ने हरा दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम संबंधी 24 अर्जियों को नकार दिया तथा निर्वाचन आयोग ने तीन दिन तक ईवीएम को हैक करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया, किंतु कोई नहीं आया.

उन्होंने कहा कि हाल में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया. उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि जो द्रोह जनादेश के साथ किया गया, उसका दंड महाराष्ट्र की जनता ने दिया. शाह ने कहा कि उसी दिन कांग्रेस झारखंड में जीती. महाराष्ट्र में ईवीएम खराब है और झारखंड में टप्प से जाकर, नये कपड़े पहन कर शपथ ले ली. अरे भाई जरा तो शर्म करो, जनता देख रही है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन

उन्होंने देश में आपातकाल लगाये जाने और चुनी हुई सरकार को अनुच्छेद 356 लगाकर गिराने को लेकर कांग्रेस की आलोचना की. संविधान संशोधन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नेहरू सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तो बनाया, किंतु अपराध के मामले में शरिया के नियमों को लागू नहीं किया. उन्होंने कहा कि देश में तुष्टीकरण की शुरुआत तो उसी दिन से हो गयी थी, जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना था.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस पर संविधान का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस संविधान का सम्मान करेगी, तो उसका भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण चल ही नहीं सकता. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी यदि इन तीनों को छोड़ दे, तो वह चुनाव जीतना शुरू कर देगी. उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि क्या वह मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करती है?

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