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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में राहुल गांधी के उठाए सभी सवालों का एक-एक कर विस्तार से जवाब दिया.जाने राहुल ने कौन से तीन गंभीर सवाल उठाए थे.

वोट चोरी और चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान कल कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर हमला बोला था. उन्होंने EC की नियुक्ति, चुनाव आयोग की भूमिका और CCTV फुटेज हटाने संबंधी तीन बड़े सवाल उठाए थे. आज (बुधवार) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी के उन सभी सवालों का सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया है.

  1. EC की नियुक्ति में CJI क्यों नहीं?
  2. CCTV फुटेज 45 दिन में हटाने की जल्दबाजी क्यों?
  3. EC को पूरी कानूनी इम्युनिटी क्यों?

अमित शाह ने इन सभी सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया है….

पहला सवाल: EC की नियुक्ति में CJI क्यों नहीं?

इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि इस देश में 73 साल तक चुनाव आयोग की नियुक्ति का कानून नहीं था. नियुक्ति प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सीधे करती थीं. अब तक जितने CEC और चुनाव आयुक्त हुए सभी ऐसे ही हुए. 1950 से 1989 तक एक ही CEC होता था. कोई कानून नहीं था. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के पास फाइल भेजते थे और वो अप्रूव हो जाती थी.

शाह ने कहा कि पूरे 55 साल प्रधानमंत्री ने ही मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त को नियुक्त किया. तब तक कोई सवाल नहीं था. नरेंद्र मोदी करते हैं तो उन पर सवाल उठाते हैं. मगर हमने ऐसा भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि जब 1989 में चुनाव आयुक्त उनकी सुनते नहीं थे तो पहली बार उसे बहुसदस्यीय बनाया गया. मगर वो भी प्रधानमंत्री की फाइल से ही होती थी. 29 चुनाव आयुक्त सीधा पीएम चुने.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही ये परंपरा बनाई थी. कानून भी उसे ने ही बनाया था. मगर आज आरोप लगाना है तो कहते हैं चुनाव चोरी कर लिया, चुनाव चोरी कर लिया. कहने से कुछ नहीं होता है, जनता हमें चुनती है और हम जवाब भी देते हैं. उन्होंने आगे कहा कि 1950 से लेकर 2023 तक कोई कानून नहीं था. 2023 में एक केस हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता पर सवाल उठाए.

इसके बाद CJI, प्रधानमंत्री, लीडर ऑफ अपोजीशन की कमेटी बनी. तय हुआ कि ये तीनों मिलकर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त चुनेंगे. शाह ने कहा कि 2012 में आडवाणी जी का सुझाव नहीं माना गया. उनका कहना है कि कमेटी में उनके दो लोग रहते हैं और हमारे एक, मगर ये तो देश की 140 करोड़ जनता तय करती है.

दूसरा सवाल: CCTV फुटेज 45 दिन में हटाने की जल्दबाजी क्यों?

इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि चुनाव आयोग ने CCTV फुटेज को 45 दिन में नष्ट करने का फैसला किया, इस पर इनको आपत्ति है. शाह ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 में एक प्रावधान है. प्रावधान क्या है, वो ये है- उम्मीदवार चुने जाने के बाद 45 दिन में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं. 45 दिन के बाद इसको कोई चुनौती नहीं दे सकता. ये नियम 1991 में बना. सीसीटीवी फुटेज को चुनाव आयोग ने बाद में एक सर्कुलर जारी नियम में बदलाव करके एड किया.

उन्होंने आगे कहा कि आयोग ने इसे 81 की धारा के साथ संरक्षित किया है. जब 45 दिन दिन बाद डिस्प्यूट की प्रोविजन ही नहीं है तो 45 दिन बाद सीसीटीवी फुटेज क्यों रखना. जब चुनाव आयोग ने इसे एड किया था तब उन्होंने साफ कहा था कि यह सीसीटीवी फुटेज संवैधानिक दस्तावेज नहीं है. कोई भी 45 दिन तक सीसीटीवी मांग सकता है. शाह ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं कोर्ट में जाने से सीसीटीवी मिलेगी. आप इस देश के लोकतंत्र को बदनाम नहीं कर सकते. पहले अच्छे से भाषण लिखना सीखिए.

तीसरा सवाल: EC को पूरी कानूनी इम्युनिटी क्यों?

इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि 1950 के ही रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट में चुनाव आयोग के अधिकारी, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त भी शामिल हैं, इन पर कोई मुकदमा चुनाव प्रक्रिया के लिए नहीं चल सकता है. हमने इसमें कुछ नया नहीं जोड़ा है. बस उसे और स्पष्ट करके नए कानून में डाला है. कांग्रेस के पास राज्यसभा में इतने सारे कानून के जानकार बैठे हैं, भगवान जानें दिन भर करते क्या हैं.

About Manish Shukla

Manish Shukla
मैं मनीष शुक्ला RBNEWS PVT LTD नेटवर्क में मुख्य संपादक एवं डायरेक्टर हूं. मीडिया उद्योग में 4 वर्षों से अधिक अनुभव के साथ, मैं रिपोर्टिंग और विश्लेषण में अपने अनुभव का लाभ उठाकर पाठको को आकर्षित और जागरूक करने वाली उच्च-प्रभाव वाली खबरों को सत्यतापूर्वक पेश करता हूं. वर्तमान में, मैं यु.पी., एम.पी., बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल एवं दिल्ली सरकार की राजनीतिक व अपराधिक घटनाओं, एवं प्रवर्तन निदेशालय (ED), CBI को कवर करने, के साथ कुछ इंटरव्यू और समसामयिक मामलों पर व्यावहारिक विश्लेषण प्रदान करने के लिए ज़िम्मेदारी निभा रहा हूं.

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