केंद्र सरकार ने शनिवार को केंद्रीय कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का बड़ा तोहफा दिया. लंबे समय से न्यू पेंशन स्कीम (NPS) का विरोध और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की मांग कर रहे लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है. ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन यानी AIRF ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है.
AIRF के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कल नेशनल काउंसिल JCM के साथियों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और इसमें मैं भी शामिल था. पीएम ने बहुत ही विनम्र तरीके से बात की और बहुत धैर्य के साथ उनकी बातें सुनीं. उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत अच्छा लगा कि पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने हमें फोन किया. 20 साल हो गए आंदोलन को, इसका कोई समाधान निकलना चाहिए.’
‘एक तरह से यह योजना सेल्फ फंडेंड है’
AIRF के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में आए साथियों को गारंटीड पेंशन मिलनी चाहिए. अब जो भी कर्मचारी रिटायर होगा, उसे 12 महीने के वेतन के आधार पर 50% वेतन और महंगाई राहत मिलेगी. अगर किसी पेंशनर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को 60% पेंशन मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. नाम भी बदल गया है. रिटायर होने पर उन्हें एकमुश्त राशि मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जो लोग रिटायर हो चुके हैं, जिन्हें पहले से बहुत कम पेंशन मिल रही है, यूपीएस लागू होने के बाद उनके मामलों की भी समीक्षा की जाएगी. एआईआरएफ के महासचिव ने कहा कि केंद्र के 23 लाख कर्मचारी हैं, जिन्हें इसका लाभ मिलेगा. एक तरह से यह योजना सेल्फ फंडेंड है. आज सभी कर्मचारी बहुत खुश हैं, उन्हें जिस वेतन पर रिटायर होंगे, उसका आधा हिस्सा मिलेगा.
राज्य सरकारें को भी यूपीएस लागू करना चाहिए
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि हालांकि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) में कर्मचारी को कोई अंशदान नहीं करना पड़ता था. दोनों में थोड़ा अंतर है. 23 लाख कर्मचारी बहुत खुश हैं. हम प्रधानमंत्री को धन्यवाद दे रहे हैं कि उन्होंने इस मामले का संज्ञान लिया और इसे सुलझाने का काम किया.
केंद्र सरकार के बाद क्या राज्य सरकारें भी अपनी यूपीएस शुरू कर सकती हैं? इस सवाल पर मिश्रा ने कहा कि वे ऐसा जरूर कर सकते हैं.राज्य सरकारों को केंद्र की तरफ देखने की जरूरत नहीं है. उन्हें भी यूपीएस लागू करना चाहिए. वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा यूपीएस पर सवाल उठाए जाने पर उन्होंने कहा कि वे राजनीति नहीं करना चाहते. वे कर्मचारियों के नेता हैं.
मिश्रा ने आगे कहा कि कांग्रेस ने ही इस नीति को मजबूत बनाया. सरकारी कर्मचारियों के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर वे हमारे इतने ही शुभचिंतक थे तो उन्होंने इसे रोका क्यों नहीं? दोनों सरकारों की आर्थिक नीतियों ने इसे बढ़ाने का काम किया.