नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आज संसद में विश्वास मत हासिल करने की उम्मीद है. वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता ओली ने पिछले सोमवार को चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की मंत्रिमंडल के 21 अन्य सदस्यों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी. संविधान के अनुसार, ओली को अपनी नियुक्ति से 30 दिनों के अंदर संसद में विश्वास मत हासिल करने की जरूरत है और यह आसानी से हासिल किये जाने की संभावना है. नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में उन्हें महज 138 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है.
नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष को पिछले रविवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिये प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस (एनसी) तथा अन्य छोटी पार्टियां भी गठबंधन सरकार में शामिल हैं.
बहुमत का गणित
प्रतिनिधि सभा में नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के कुल 167 सदस्य हैं तथा दो अन्य सत्तारूढ़ दलों-जनता समाजवादी पार्टी और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के सात और चार सदस्य हैं. इसके साथ, सदन में सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों की कुल संख्या 178 है.
सरकार को इन पार्टियों का समर्थन
सत्तारूढ़ गठबंधन के अलावा, ओली को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी), जनता समाजवादी पार्टी नेपाल (जेएसपी), नागरिक मुक्ति पार्टी (एनयूपी) और जनमत पार्टी से भी समर्थन मिलने की संभावना है. आरपीपी के पास 14 सीट है, जेएसपी नेपाल के पांच, एनयूपी के चार और जनमत पार्टी के छह सांसद हैं.
प्रचंड ने खो दिया था विश्वास मत
सीपीएन-यूएमएल के करीबी सूत्रों के अनुसार, गठबंधन को विश्वास मत के दौरान 200 से अधिक वोट मिलने की संभावना है. ओली ने पुष्प कमल दाहाल प्रचंड का स्थान लिया है, जिन्होंने पिछले हफ्ते विश्वास मत खो दिया था, जिसके परिणामस्वरूप नयी सरकार का गठन हुआ.
नयी गठबंधन सरकार का नेतृत्व
सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष अब नयी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जो नेपाल में राजनीतिक स्थिरता प्रदान करने की कठिन चुनौती का सामना कर रही है. नेपाल को लगातार राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा है. पिछले 16 साल में देश में 14 सरकारें बनी हैं.