जम्मू से CRPF का काफिला निकला, हंसते-गाते गुनगुनाते जवान आगे बढ़ रहे थे, किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है? मंजिल थी श्रीनगर जो महज 30 किमी दूर था. तभी काफिले में एक तेज रफ्तार ईको कार घुसी और एक बस से जा टकराई. अगले ही पल ऐसा तेज धमाका हुआ जिसकी गूंज 10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी. धुएं के गुबार में सब कुछ खो गया…. न तो वो कार दिखी और न ही वो बस जिससे वो कार टकराई थी. रह गया था सिर्फ बस का मलबा और वीर सपूतों के पार्थिव शरीर.
बेशक पुलवामा में हुए इस कायराना हमले को आज पांच साल बीत गए, लेकिन इसके जख्म आज तक हर भारतवासी के दिलों में ताजा हैं. ये वही हमला है जिसके बाद देशवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था. खुद पीएम मोदी ने देशवासियों से ये वादा किया था कि ‘सभी आंसुओं का बदला लिया जाएगा’. पीएम मोदी ने शस्त्र बलों को ये तय करने की पूर्ण स्वतंत्रता दे दी थी कि दुश्मन के खिलाफ कब और कैसे प्रतिशोध लिया जाना है. पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 वीर सपूतों की शहादत का बदला भारत ने ठीक 12 दिन बाद लिया था और भारतीय वायुसेना के विमानों ने एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान के बालाकोट को हिला दिया था.
आखिर क्या हुआ था उस दिन ?
14 फरवरी सुबह जम्मू से 78 बसों से सीआरपीएफ का काफिला श्रीनगर के लिए रवाना हुआ. इस काफिले में 2500 से ज्यादा जवान शामिल थे. आतंकियों के पास सेना के इस काफिले की पुख्ता जानकारी थी. महीनों पहले से हमले की साजिश शुरू की गई और जब 3 बजे काफिला पुलवामा में गुजरा तो आतंकी आदिल अहमद डार काफिले में कार लेकर घुसा. इस कार में 100 किलो से ज्यादा विस्फोटक था. धमाका इतना तेज था कि काफिले की ज्यादातर बसों के शीशे चटक गए थे. कई जवान चोटिल हुए थे. सीआरपीएफ के 76 वें बटालियन के 40 वीर सपूत शहीद हो गए थे. कई किलोमीटर तक हवा में बारूद की गंध घुल गई थी. मंजर इतना खौफनाक था जिसे देखने वाले तक सिहर गए थे.
पाकिस्तान में रची गई थी साजिश
पुलवामा हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी. NIA ने इस पूरे मामले की जांच की और इसमें बताया गया कि कैसे आईएसआई और पाकिस्तान सरकार की एजेंसियों ने मिलकर हमले का पूरा प्लान बनाया था. इसका मुख्य दोषी माना गया मसूद अजहर और उसे भाइयों अब्दुल राउफ असगर, मौलाना अम्मार अल्वी को. इसके अलावा मोहम्मद इस्माइल, मोहम्मद अब्बास, बिलाल अहमद, शाकिर बशीर के नाम भी शामिल थे.
चार्जशीट में बताया गया कि कैसे पाकिस्तान से कश्मीर घाटी में विस्फोटक भेजा गया और यहीं पर अमोनियम नाइट्रेट और नाइट्रो ग्लिसरीन के साथ उसे घातक किया गया. हमले में कश्मीर घाटी के आदिल अहमद डार के अलावा सज्जाद भट्ट, मुदसिर अहमद खान का भी नाम सामने आया था जिसे बाद में सेना ने चुन-चुनकर मारा. यह चार्जशीट 13 हजार से अधिक पन्नों की थी. इसमें कुल 19 आतंकियों के नाम थे, जिनमें से छह को सेना अलग-अलग ऑपरेशनों में मार चुकी है.
टुकड़ों में मंगाया गया था RDX
जांच में सामने आया था कि हमले में अमोनियम नाइट्रेट, नाइट्रोग्लिसरीन और RDX का इस्तेमाल हुआ था, यह RDX बेहद छोटी-छोटी मात्रा में प्लानिंग के तहत इकट्ठा गया था. इसमें प्रयोग की गई जिलेटिन की छड़ें पहाड़ों और चट्टानों को तोड़ने के लिए इकट्ठा किया गया था वहां से इन्हें चुराया गया था. अमोनियम पाउडर स्थानीय बाजार से खरीदा गया था. एचडी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमले के लिए 500 से ज्यादा जिलेटिन की छड़े पत्थर की खदानों से चोरी की गई थीं.
फिर आई कत्ल की रात और हिल गया बालाकोट
14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले से भारत ही नहीं पूरी दुनिया अचंभित थी. यह ऐसा हमला था जिसने दर्द तो दिया ही लोगों को गम और गुस्से से भी भर दिया था. 17 फरवरी को पीएम मोदी ने खुद ये ऐलान किया था कि ‘मैं भी अपने दिल में वही आग महसूस करता हूं, जो आपके अंदर भड़क रही है.’ पीएम मोदी ने कहा था कि – हर आंसू का बदला लिया जाएगा. सेनाओं को प्रतिशोध के लिए समय और जगह तय करने की छूट दे दी गई थी. 12 दिन बाद 26 फरवरी को रात में तीन बजे भारत ने देशवासियों से किया वादा पूरा किया और 12 मिराज 200 फाइटर जेट्स एलओसी को पार कर पाकिस्तान में घुस गए.
आतंकी ठिकानों पर बरसाए बम
भारतीय वायुसेना के जांबाज फाइटर मिराज 2000 लेकर बालाकोट तक गए और खुफिया इनपुट के आधार पर जैश ए मोहम्मद के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. इस हमले में तकरीबन 300 आतंकी मारे गए थे. एयरस्ट्राइक में कई हजार किलो बम बरसाए गए थे. इस प्लान को अंजाम देने की जिम्मेदारी पीएम मोदी ने एनएसए अजित डोभाल को दी थी.