छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में समय से बारिश न होने के कारण गंगरेल बांध में जलस्तर कम हो गया है. पानी की कमी से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसान सूखे की मार झेल रहे हैं. इस बांध में पानी की कमी इसलिए हुई है क्योंकि महानदी का जलस्तर भी काफी कम हो गया है. मानसून आने के बाद भी समय से बारिश न होना नदियों में उनके जलस्तर को कम कर रहा है. अगर देश में ऐसे ही जलसंकट बढ़ता जाएगा तो पेड़-पौधे, जीव-जंतु को उनकी जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिल पाएगा.
दरअसल, धमतरी के रविशंकर जलाशय गंगरेल बांध की जलभराव क्षमता कुल 32 टीएमसी है. टीएमसी का मतलब “थाउजेंड मिलियन क्यूबिक फीट” इसे थोड़ा और आसान करें तो.” 1 टीएमसी” मतलब “28 अरब 31 करोड़ लीटर” होता है. मौजूदा समय में अभी बांध में सिर्फ 6 टीएमसी उपयोगी जल रह गया है. मानसून की बेरुखी के चलते लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ सकता है. मानसून छत्तीसगढ़ में 7 से 8 जून को दस्तक दे चुका है. शुरुआती दौर में बारिश तो हुई है. लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया. वैसे बारिश की बेरुखी लोगों को झेलनी पड़ रही है. एक महीने होने जा रहा है. अभी तक बारिश नहीं हुई.
पहली बार गंगरेल बांध में हुआ पानी कम
दिन में धूप और गर्मी से लोग परेशान हैं तो वहीं दूसरी ओर किसान बारिश के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. बारिश नहीं होने से किसानों की फसल सूख चुकी है. धमतरी जिले की बात करे तो यहां पर 4 बांध हैं, चारों बांधों की हालत खराब है. बारिश नहीं होने के कारण बांध सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. जल संसाधन विभाग के आकड़ों की मानें तो गंगरेल बांध की क्षमता 32 टीएमसी है. जिसमें 6.390 टीएमसी पानी बचा है. प्रतिशत में बात की जाए तो केवल 4.87% पानी बांध में है. वहीं मुरुमसिल्ली बांध की क्षमता 5.538 टीएमसी है. जिसमें से 0.147 टीएमसी पानी बाकी है, जिसकी कुल प्रतिशत 0.46% है. वहीं दुधवा बांध की बात करें तो इस बांध की क्षमता 10.192 टीएमसी है. जिसमें 1.532 टीएमसी पानी बाकी है. जिसकी प्रतिशत 13.68% है. वहीं सोंढुर बांध की क्षमता 6.996 टीएमसी है. जिसमें 1.577 टीएमसी पानी बाकी है. जिसकी प्रतिशत 14.64% है.
1978 में बने गंगरेल बांध में इस तरह का गंभीर जल संकट पहली बार देखा जा रहा है. गंगरेल बांध से ही भिलाई इस्पात को पानी की सप्लाई होती है. इसके अलावा धमतरी, रायपुर, बिरगांव नगर निगम के लाखों लोगों को भी पेयजल गंगरेल से ही मिलता है. फिलहाल, गंभीर स्थिति को देखते हुए भिलाई इस्पात को पानी की सप्लाई रोकी गई है. लेकिन पेयजल के लिए पानी धमतरी को ही दिया जा रहा है, प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि बांध का डेड स्टोरेज हिट हो चुका है. ऐसे में अतिआवश्यक चीजों के लिए ही पानी दिया जा सकता है.