गंगा जमुनी तहजीब की जिम्मेदारी क्या सिर्फ और सिर्फ हिंदू समाज की निभाने की है? गंगा जमुनी तहजीब का बार-बार उदाहरण दिया जाता है और समझाया जाता है, इस बार उन्हें बड़ा दिल करके कहना चाहिए कि आपका त्यौहार है, आप होली खेलिये। नमाज हम एक डेढ़ घंटे बाद पढ़ लेंगे। बड़ा दिल करके उन्हें कहना चाहिए, इससे अल्लाह नाराज नहीं होगा। साथ ही साथ हिंदू धर्म के लोगों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि जिस रंग से परहेज है उनके ऊपर रंग ना डालें और एक डेढ़ बजे तक होली खेल ले। यह बात विश्व हिंदू परिषद के महाराष्ट्र और गोवा के क्षेत्र प्रमुख गोविंद शेंडे ने आज नागपुर में कही।
‘साल में 52 बार जुम्मा आता है, होली तो एक ही बार आएगी’
जब उनसे पूछा गया कि होली और रमजान की जुम्मे की नमाज भी एक ही दिन पड़ रही है, इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गोविंद शेंडे ने कहा, हम सभी मत पंथ का बराबर सम्मान करते हैं, अनेक बार इस प्रकार की स्थिति बनती है। इस बार भी होली वाले दिन जुम्मा आ गया और वह भी रमजान के महीने में आ गया। हमारे यहां पर बड़ी बात की जाती है गंगा जमुनी तहजीब की। तो क्या गंगा जमुनी तहजीब को निभाने की सारी की सारी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ हिंदू समाज की है, सामने वाले की भी तो है। साल में 52 बार जुम्मा आता है, होली तो एक ही बार आएगी। वह भी कई वर्षों के बाद जुम्मे के दिन होली आई है।
‘बड़ा दिल करके हिंदू समाज से कहे कि आप होली खेलो’
वीएचपी नेता ने आगे कहा, ”गंगा जमुनी तहजीब का बार-बार उदाहरण दिया जाता है, समझाया जाता है। उन्हें इसका उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। आप भी बड़ा दिल करके हिंदू समाज से कहे कि आपका त्यौहार है, आप होली खेलो, कोई दिक्कत नहीं आएगी। जुम्मे का सवाल है तो हम कुछ एक डेढ़ घंटे बाद नमाज पढ़ लेंगे। अल्लाह इससे नाराज नहीं होने वाला। इस प्रकार का सामंजस्य जो है उनको दिखाना पड़ेगा।”
वहीं, उन्होंने हिंदुओं से भी अपील करते हुए कहा कि जिनको रंग से परहेज है उनके ऊपर रंग ना डालें और हिंदुओं का जो त्यौहार है होली एक डेढ़ बजे तक उसको समाप्त कर ले।
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