दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे का ट्रायल रन बीते रविवार की रात को शुरू हो गया। दिल्ली के गीता कॉलोनी एंट्री प्वाइंट पर बैरिकेड्स हटाए जाने के बाद, वाहन नए रूट पर चलते हुए दिखाई दिए। इस ट्रायल का दौर अगले 10 दिनों तक चलेगा, जिसके बाद संबंधित अधिकारी यह निर्णय लेंगे कि एक्सप्रेसवे को स्थायी रूप से खोला जाए या नहीं। ANI की खबर के मुताबिक, इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने से राजधानी में ट्रैफिक जाम की समस्या में बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर ख़जूरी खास और उसके आसपास के इलाकों में, जहां पर लंबे समय से ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती थी। इन क्षेत्रों के निवासी लंबे समय से इस एक्सप्रेसवे के जल्दी उद्घाटन की मांग कर रहे थे।
खबर के मुताबिक, यह एक्सप्रेसवे, जब पूरी तरह से चालू हो जाएगा, तो दिल्ली और देहरादून के बीच की यात्रा को 6 घंटे से घटाकर सिर्फ 3 घंटे में समेट देगा, जिससे न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि ट्रैफिक समस्या में भी सुधार होगा।
परियोजना की लागत और समय में देरी
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल अनुमानित लागत ₹11,868.6 करोड़ है। हालांकि, इसे अक्टूबर 2025 तक जनता के लिए खोलने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन परियोजना में कई बार देरी हो चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को निर्देश दिया है कि एक्सप्रेसवे का उद्घाटन तब किया जाए जब परियोजना के सभी चार चरण पूरी तरह से तैयार हो जाएं।
रूट और प्रमुख इंटरसेक्शन
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर देहरादून तक जाएगा, रास्ते में बागपत, शामली और सहारनपुर जैसे प्रमुख शहरों से होकर गुजरते हुए। यह एक्सप्रेसवे खेकड़ा में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा। इस परियोजना का निर्माण चार चरणों में किया जा रहा है। पहले चरण- अक्षरधाम से ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे जंक्शन तक को छह महीने पहले ही पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा, राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में एशिया का सबसे लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर, जो 12 किलोमीटर लंबा है, का निर्माण भी इस परियोजना का हिस्सा है। साथ ही, जानवरों की सुरक्षित आवाजाही के लिए छह अंडरपास भी बनाए गए हैं।
नींव और भूमिपूजन
दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे की नींव 26 फरवरी 2021 को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा रखी गई थी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2021 को इस परियोजना का भूमिपूजन किया था। यह एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा की गति को बढ़ाएगा, बल्कि उत्तर भारत में यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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