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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा ‘वोट चोरी’ के आरोपों की जांच के लिए SIT गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को सुनवाई करेगा

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा ‘वोट चोरी’ के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. याचिका में बेंगलुरु सेंट्रल और अन्य प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में SIT गठित करने की मांग की गई है.

इस याचिका को एडवोकेट रोहित पांडे ने दायर किया है, जिसमें यह भी अनुरोध किया गया है कि निर्वाचन आयोग को कोई भी मतदाता सूची का संशोधन या अंतिम रूप देना तब तक न करने का निर्देश दिया जाए जब तक कोर्ट के निर्देशों का पालन न हो और सूची का स्वतंत्र ऑडिट पूरा न हो जाए.

राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला

याचिका में राहुल गांधी की तरफ से 7 अगस्त को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी हवाला दिया गया है, जहां उन्होंने इन दावों के समर्थन में आंकड़े पेश किए थे. वकील रोहित पांडे की ओर से दायर याचिका 13 अक्टूबर को सुनवाई के लिए संभावित रूप से सूचीबद्ध है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि अदालत के निर्देशों का पालन होने और मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक मतदाता सूचियों में कोई और संशोधन या अंतिम रूप देने का काम ना किया जाए.

BJP और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत का आरोप

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त को बीजेपी और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत के जरिए चुनावों में बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी का दावा किया था. उन्होंने पिछले साल कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूचियों के विश्लेषण का हवाला भी दिया. नेता के आरोप के फौरन बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष से उन मतदाताओं के नाम साझा करने को कहा था, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया था कि वे मतदाता सूची में गलत हैं. साथ ही एक हस्ताक्षरित घोषणापत्र भी मांगा था ताकि चुनाव अधिकारी इस मामले में जरूरी कार्यवाही शुरू कर सकें.

इसके बाद 17 अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि राहुल गांधी को मतदाता सूची में अनियमितताओं के अपने आरोपों पर सात दिनों के अंदर शपथ लेकर घोषणा पत्र देना चाहिए, अन्यथा उनके वोट चोरी के दावे निराधार और अमान्य घोषित कर दिए जाएंगे.

याचिका में मांग

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अदालत से मतदाता सूची की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को बाध्यकारी दिशानिर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है, जिसमें डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए तंत्र शामिल हैं. इसमें सार्थक सत्यापन, ऑडिट और सार्वजनिक जांच को सक्षम बनाने के लिए चुनाव आयोग को मतदाता सूची को सुलभ, मशीन-पठनीय और ओसीआर-अनुरूप प्रारूपों में प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र (महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र) की मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएं देखी हैं. याचिका में कहा गया है कि संविधान की पवित्रता को बनाए रखने और संरक्षित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप जरूरी है, जिसे सिर्फ न्यायालय ही प्रभावी ढंग से सुनिश्चित कर सकता है. याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद और विधानसभा चुनावों से पहले लगभग चार महीनों के भीतर लगभग 39 लाख नए मतदाता मतदाता सूची में जोड़े गए, जबकि पिछले पांच सालों में केवल लगभग 50 लाख मतदाता ही जुड़े थे. याचिका में कहा गया है कि इतनी अचानक और अनुपातहीन वृद्धि मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया में चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर एक गंभीर प्रश्न उठाती है.

 

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