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फास्टैग की केवाईसी, उसमें जमा पैसे जब्त करने और दोगुना टोल टैक्स वसूलने संबंधी आदेश तत्काल रद्द किया जाए: डॉ. गिरीश

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. गिरीश ने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार अपनी उदार नीतियों के तहत कॉरपोरेट घरानों और अन्य अमीर लोगों को तमाम लाभ और सुविधाएं दे रही है। समय-समय पर अपनी नई-नई योजनाएं थोपकर आम जनता को बार-बार परेशानी में डालती है। यह उलझनभरा है। इसका विशेष लक्ष्य मध्यम और सामान्य वर्ग है, जिन्हें इन योजनाओं के कारण पैसा और समय दोनों खर्च करना पड़ता है। ऐसी योजनाओं की सूची बहुत लंबी है, जिसका खामियाजा इन दस वर्षों में आम जनता को भुगतना पड़ा है.

 

ताजा मामला चार पहिया वाहनों के फास्टैग के केवाईसी (नो योर कस्टमर) वेरिफिकेशन को लेकर है। सरकार के एक सख्त आदेश ने हर चार पहिया वाहन मालिक को परेशानी में डाल दिया है. आदेश के मुताबिक, हर वाहन मालिक को अपने वाहन के फास्टैग का केवाईसी सत्यापन कराना होगा। इसके लिए उसे संबंधित बैंक, बिजनेस सुविधा केंद्र पर जाना होगा या खुद ऑनलाइन वेरिफिकेशन की कठिन प्रक्रिया से गुजरना होगा। ज्यादातर लोग ऑनलाइन काम नहीं कर पाते हैं और बैंकों को अभी तक इसकी प्रक्रिया नहीं पता है. कई बैंकों के पास अतिरिक्त स्टाफ तक नहीं है. कई बार हार के बाद वाहन स्वामियों को प्राइवेट सर्विस सेंटरों पर जाकर पैसे खर्च कर वेरिफिकेशन कराना पड़ेगा।

 

इतना ही नहीं, अगर 31 जनवरी तक फास्टैग का सत्यापन नहीं कराया गया तो फास्टैग को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाएगा। इसमें जमा किए गए पैसे भी जब्त कर लिए जाएंगे. और अगले ही दिन से टोल प्लाजा पर दोगुना टोल टैक्स देना होगा. यह जनता पर खुली लूट और अत्याचार है।

 

जो सरकार बैंकों से पैसा लेकर फरार भगोड़ों से पैसा नहीं वसूल पा रही है, वह नये-नये हथकंडे अपनाकर आम जनता से वह पैसा वसूल रही है। यह उसी पार्टी की सरकार है जिसने इंस्पेक्टर राज खत्म करने और कानूनी बंदिशें ढीली करने का वादा किया था.

 

डॉ. गिरीश ने इस तुगलकी फरमान को तत्काल रद्द करने की मांग की है ताकि वाहन मालिकों को लूट और समय की बर्बादी से बचाया जा सके. अगर सरकार ने तत्काल प्रभाव से इस योजना को रद्द नहीं किया तो उसे वाहन मालिकों और चालकों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है. सीपीआई भी इसका कड़ा विरोध जताती है और यथासंभव इसके खिलाफ आवाज उठाती रहेगी.

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