Breaking News

पुणे की MP/MLA कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में शिकायतकर्ता की याचिका खारिज कर दी, सावरकर के भतीजे ने राहुल गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में दर्ज कराया था.

पुणे की MP/MLA कोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि मामले में एक अप्रत्याशित फैसला सुनाया है. न्यायिक मजिस्ट्रेट अमोल शिंदे की अध्यक्षता वाली अदालत ने शिकायतकर्ता की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राहुल गांधी के कथित मानहानिकारक बयान वाले यूट्यूब वीडियो को वैकल्पिक सबूत के रूप में चलाने की अनुमति मांगी गई थी.

यह मामला विनायक दामोदर सावरकर के भतीजे सत्यकी सावरकर ने दायर किया था. उन्होंने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने मार्च 2023 में लंदन में दिए गए एक भाषण में सावरकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. लेकिन आरोपों के साथ पेश की गई भाषण की सीडी खाली पाई गई.

जज के सामने नहीं चली सीडी

सावरकर के भतीजे की मुख्य गवाही (एग्जामिनेशन-इन-चीफ) के दौरान प्राथमिक सबूत के रूप में पेश की गई कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) को कोर्ट में चलाया गया, लेकिन हैरानी तब हुई जब ये सीडी प्ले नहीं हो पाई, इसके बाद शिकायतकर्ता के वकील एडवोकेट संग्राम कोल्हटकर ने तुरंत अदालत से अनुरोध किया कि 2023 में शिकायत के साथ जमा किए गए मूल यूट्यूब लिंक से वीडियो सीधे चलाया जाए.

कोल्हटकर का दावा था कि जब यह सीडी पहली बार दाखिल की गई थी और संज्ञान के चरण में एक अन्य जज के सामने पेश की गई थी, तब वह पूरी तरह ठीक थी और इसी आधार पर राहुल गांधी को समन जारी किया गया था.

कोल्हटकर ने कहा कि अब यह रिसर्च या इन्वेस्टिगेशन का मुद्दा है, हम रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि कोर्ट इस खोए हुए सबूत के बारे में ज्यूडिशियल इन्वेस्टिगेशन और इंक्वायरी करे. ऐसा लगता है कि CDs अवेलेबल नहीं हैं, या वे कहीं खो गई होंगी, जो हमें नहीं पता. बता दें अब अगली तारीख 2 दिसंबर की दी गई है.

रक्षा पक्ष का विरोध, अदालत का फैसला

राहुल गांधी का पक्ष रख रहे एडवोकेट मिलिंद पवार ने यूट्यूब लिंक चलाने का कड़ा विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि ऑनलाइन कंटेंट को सबूत के रूप में स्वीकार करने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 बी के तहत अनिवार्य प्रमाणपत्र जरूरी है, जो इस मामले में उपलब्ध नहीं है.

न्यायमूर्ति अमोल शिंदे ने रक्षा पक्ष के तर्क को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी. अदालत ने साफ किया कि यूट्यूब यूआरएल बिना धारा 65 बी के प्रमाणपत्र के सबूत के रूप में स्वीकार्य नहीं है. यह मामला अब आगे की सुनवाई के लिए लंबित है.

About admin

admin

Check Also

सांसद सुप्रिया सुले ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश किया, जो कर्मचारियों को काम के घंटों के बाद ईमेल और कॉल से डिस्कनेक्ट होने का अधिकार देगा, क्या है संसद में पेश हुआ राइट टू डिस्कनेक्ट बिल

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सांसद सुप्रिया सुले ने शुक्रवार को संसद में राइट टू डिस्कनेक्ट …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *