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भारत की इकोनॉमी को संभालने वाला देश का सबसे बड़ा बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक आज अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान करेगा, आखिर ध्यान किस तरफ होगा…आपके ‘घर के बजट’ पर या ‘देश की तरक्की’ पर…?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ दिन पहले ही देश का अंतरिम बजट पेश किया है. इसमें सरकार का मुख्य जोर आम आदमी के साथ-साथ देश की तरक्की पर रहा है. अब जब कुछ दिन बाद आज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान करने जा रहा है, तो ये देखना होगा कि उसका जोर आम आदमी के ‘घर के बजट’ पर ज्यादा रहता है या ‘देश की तरक्की’ पर.

अगर मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखा जाए, तो भारतीय रिजर्व बैंक की मोनेटरी पॉलिसी इन 5 बातों से ही तय होती नजर आ रही है…

  • आर्थिक तरक्की : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब 8 दिन पहले देश का बजट पेश किया था. तब चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. ऐसे में चालू वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी मौद्रिक नीति पेश करते वक्त आरबीआई को इस बात पर गौर करना होगा कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाए. वहीं देश की तरक्की पर वैश्विक घटनाओं के असर को भी उसे देखना होगा.
  • महंगाई : आरबीआई को देश में रिटेल इंफ्लेशन को 4 प्रतिशत के दायरे में रखना है. दिसंबर के आंकड़ों में ये 5.7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही है. हालांकि ये महंगाई की अपर लिमिट 6 प्रतिशत से नीचे है. फिर भी खाद्य महंगाई दर का स्तर और भी ज्यादा भयावह रहा है. दिसंबर में ये 9.53 प्रतिशत पर रही है. ऐसे में आरबीआई को सबसे ज्यादा फोकस इसी पॉइंट पर कर सकता है, ताकि आम आदमी के घर का बजट ना बिगड़े. वैसे भी आने वाले दिनों में देश के सामने लोकसभा के चुनाव भी हैं.
  • लिक्विडिटी मैनेजमेंट : इस मोनेटरी पॉलिसी में भी आरबीआई पिछली मौद्रिक नीतियों की तरह देश के अंदर लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर ध्यान दे सकता है. आरबीआई की कोशिश होगी कि मार्केट में मनी का फ्लो लिमिटेड रहे, ताकि देश में अल्टीमेटली महंगाई को नियंत्रित किया जा सके.
  • डोमेस्टिक डिमांड: आरबीआई के सामने एक और चुनौती देश में घरेलू मांग को बनाए रखना है. महंगाई को नियंत्रण करने की वजह से वह घरेलू मांग से समझौता नहीं कर सकेगा, क्योंकि ये देश की आर्थिक तरक्की की राह का रोड़ा बनेगा. अब देखना होगा कि आरबीआई इसके बीच संतुलन कैसे बनाता है.
  • राजकोषीय घाटा : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.8 प्रतिशत पर रखने का संशोधित अनुमान जताया है. वहीं अगले वित्त वर्ष 2024-25 में इसे 5.1 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में आरबीआई को अपनी मौद्रिक नीति में इस लक्ष्य को पाने के लिए नींव रखनी होगी.

 

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