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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रयागराज कुंभ मेला के दौरान संगम के जल की गुणवत्ता को लेकर अपनी नई रिपोर्ट में यूटर्न ले दावा किया कि पानी स्नान के लिए उपयुक्त था, डेटा की परिवर्तनशीलता को मुख्य कारण बताया

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी गई एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम में पानी की गुणवत्ता “स्नान के लिए उपयुक्त” थी. यह रिपोर्ट फरवरी में प्रस्तुत पिछली रिपोर्ट के बिल्कुल विपरीत है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि अलग-अलग तिथियों पर एक ही स्थान से और एक ही दिन अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में “डेटा की परिवर्तनशीलता” थी, जिसके कारण ये “नदी के पूरे क्षेत्र में नदी के पानी की समग्र गुणवत्ता” को नहीं दर्शाते थे.

CPCB के आंकड़ों ने एक महीने के भीतर मारी पलटी

दिसंबर के आदेश के अनुपालन में 17 फरवरी को CPCB ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें दिखाया गया कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में की गई निगरानी के दौरान प्रयागराज में संगम के पानी में फेकल कोलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर स्नान के मानदंडों को पूरा नहीं करता था.

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गंगा और यमुना नदी के संगम पर पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए प्राथमिक मानकों को पूरा करने में विफल रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोमवार (17 फरवरी) को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया था कि पानी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर उच्च है.

सीपीसीबी की 3 फरवरी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सभी निगरानी स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 2,500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर की अनुमेय सीमा से अधिक था, जो महत्वपूर्ण सीवेज संदूषण को दर्शाता है.

सीपीसीबी की रिपोर्ट में किया गया नया दावा

हालांकि, 28 फरवरी की एक रिपोर्ट और 7 मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई, जिसमें कहा गया है कि सीपीसीबी ने 12 जनवरी से सप्ताह में दो बार पानी की निगरानी की थी, जिसमें महाकुंभ के दौरान शुभ स्नान के दिन भी शामिल थे.

रिपोर्ट में कहा गया है, “विभिन्न तिथियों पर एक ही स्थान से लिए गए नमूनों के लिए पीएच, जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), घुलित ऑक्सीजन (डीओ) एवं फेकल कोलीफॉर्म काउंट (एफसी) में मापदंड मूल्य अलग-अलग हैं. एक ही दिन एकत्र किए गए नमूनों के लिए उपर्युक्त मापदंडों के मूल्य भी अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होते हैं. ”

सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में क्या कहा गया?

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि एक विशेषज्ञ समिति ने “डेटा में परिवर्तनशीलता” के मुद्दे की जांच की और कहा कि “डेटा एक विशिष्ट स्थान और समय पर पानी की गुणवत्ता का एक स्नैपशॉट दर्शाता है. अपस्ट्रीम मानवजनित गतिविधियों (मानव क्रियाकलाप), नदी की धारा, धाराओं का मिश्रण,प्रवाह की दर, नमूने की गहराई, नमूने का समय, नमूना स्थान और ऐसे कई अन्य कारकों जैसे कारकों के आधार पर काफी अंतर हो सकता है.
  • परिणामस्वरूप, ये मान उस सटीक समय और स्थान पर जल गुणवत्ता मापदंडों को दर्शाते हैं, जहां से ये पानी के नमूने एकत्र किए गए थे, लेकिन यह पूरे क्षेत्र के जल की गुणवता को नहीं दर्शाता है.
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परिवर्तनशीलता के कारण रिपोर्ट अलग-अलग हैं. गंगा और यमुना जल गुणवत्ता डेटा का सांख्यिकीय विश्लेषण इस कारण अलग है. 12 जनवरी से 22 फरवरी 10 स्थानों से नमूने एकत्रित किए गए थे और 20 दौर की मॉनेटरिंग हुई थी.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रस्तुत किया गया है कि उपर्युक्त सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार, निगरानी किए गए खंडों के लिए डीओ, बीओडी, पीएच और एफसी का औसत मूल्य (डेटा की केंद्रीय प्रवृत्ति) संबंधित मानदंड सीमाओं के भीतर है.
  • रिपोर्ट के अनुसार, एफसी का औसत मूल्य 1,400 था, जबकि अनुमेय सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली थी, जबकि डीओ 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होने के निर्धारित मानदंड के मुकाबले 8.7 था, और बीओडी 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम या उसके बराबर की निर्धारित सीमा के मुकाबले 2.56 था.

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