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नई दिल्ली: कोलकाता के रेप-मर्डर केस को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। वहीं अब फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने अपने वकील सत्यम सिंह, संजीव गुप्ता और एओआर थॉमस ओमेन के माध्यम से कोलकाता हत्या और बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर किया है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने घटना का संज्ञान लेते हुए मामले को मंगलवार सुबह 10:30 बजे सुनवाई के लिए वाद सूची में शीर्ष पर रखा है।
डॉक्टरों के संगठन ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
वहीं डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स ऑफ इंडिया (FAMCI) और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) और वकील विशाल तिवारी ने भी स्वत: संज्ञान मामले में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर करके शीर्ष अदालत का रुख किया है। FAMCI ने अपनी याचिका में किसी भी केंद्रीय कानून के अभाव में देश भर के अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों के लिए सुरक्षा चिंताओं को उठाया और कहा कि वर्षों से बुनियादी सुरक्षा उपायों की मांग के बावजूद, चिकित्सा कर्मचारी जोखिम भरे वातावरण में काम कर रहे हैं।
अस्पताल परिसरों में बनाई जाए पुलिस चौकी
डॉक्टरों के निकाय ने कहा कि केंद्र को स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्य-स्तरीय कानूनों में कमियों को दूर करने के लिए समान दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए कहा जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, “मेडिकल कॉलेजों (सार्वजनिक और निजी) में रेजिडेंट डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को औपचारिक रूप से ‘सार्वजनिक सेवक’ घोषित किया जाना चाहिए। नगरपालिका अस्पतालों के परिसर में अनिवार्य रूप से एक पुलिस चौकी स्थापित की जानी चाहिए।” इसी तरह, FORDA ने वकील सत्यम सिंह और संजीव गुप्ता के माध्यम से दायर अपने इंटरवेंशन एप्लीकेशन में कहा गया है कि डॉक्टरों ने जीवन बचाने और समाज की सेवा करने के लिए मेडिकल स्कूल और रेजीडेंसी सहित 10 से 11 साल की कठोर शिक्षा और प्रशिक्षण समर्पित किया है।
डॉक्टरों को दी जाए सुरक्षा
फोर्डा ने कहा है, “स्वास्थ्यकर्मी समाज में एक अपरिहार्य भूमिका निभाते हैं, अक्सर देखभाल प्रदान करने और जीवन बचाने के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करते हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। हम न्यायपालिका से आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अन्य समान संस्थानों में सुरक्षा के लिए व्यापक सुरक्षा प्रोटोकॉल अनिवार्य करने का आग्रह करते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की धमकी या हिंसा से बचाया जाए। स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ यौन हिंसा, उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव के परिणामों की योजना बनाने, रोकने, सुरक्षा करने और संबोधित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। मामले के लंबित रहने तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दें।” फोर्डा ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए देश भर के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सुरक्षा उपाय बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की भी मांग की।
सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 20 अगस्त की वाद सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी। यह सुनवाई सुबह साढ़े 10 बजे हो सकती है।
कोलकाता रेप-मर्डर केस में बड़ा खुलासा, प्रिंसिपल ने पुलिस को देर से घटना की दी जानकारी, पहले की मीटिंग
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद हत्या मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल को उनके एक भरोसेमंद सहयोगी के जरिए 9 अगस्त की सुबह 7 बजे पता चला कि पीड़िता का शव सेमिनार रूम में पड़ा है। इसके बाद कई लोग सेमिनार हॉल में घुस गए।
पूरी घटना जानने के बाद बैठक की
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, यह पूछे जाने पर कि क्या कोई सबूत गायब हो गया है, क्योंकि सेमिनार हॉल में कोई सीसीटीवी नहीं था, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने कोई जवाब नहीं दिया। सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष ने पूरी घटना जानने के बाद बैठक की थी, लेकिन पुलिस को देर से सूचना दी।
पूर्व प्रिंसिपल पर गहराता शक
दरअसल, सीबीआई का शक आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर गहराता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, संदीप घोष के बयान में कई गड़बड़ियां पाई गई हैं। सूत्रों का दावा है कि पूर्व प्रिंसिपल की तरफ से मामले को छिपाने की कोशिश की गई। सूत्रों का दावा है कि इस मामले में CBI को अस्पताल की भूमिका संदिग्ध लग रही है। यही वजह है कि सीबीआई ने लगातार चौथे दिन उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया। इससे पहले रविवार देर रात 1 बजे तक उनसे पूछताछ चली।
सेमिनार रूम का बगल वाला हिस्सा क्यों टूटा है?
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से सवाल किया कि सेमिनार रूम का बगल वाला हिस्सा क्यों टूटा हुआ है? इस पर घोष ने जो जवाब दिया, उससे सीबीआई संतुष्ट नहीं हुई। सीबीआई की पूछताछ में संदीप घोष ने दावा किया कि घटना के बाद गुस्साए छात्र और डॉक्टरों के विरोध को शांत कराने के लिए उस हिस्से में मरम्मत का काम शुरू किया गया।
घोष का कहना है कि प्रदर्शनकारी छात्रों और डॉक्टरों ने मांग की थी कि उन्हें रेस्ट रूम, वॉश रूम और सुरक्षा प्रदान की जाए। ऐसे में उनके गुस्से को शांत कराने के लिए वहां काम शुरू किया गया। संदीप घोष ने पूछताछ में बताया कि कुछ महीने पहले वर्क ऑर्डर आया था और उस दिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात करने के बाद मरम्मत का काम शुरू हुआ। बता दें कि आरजी कर मेडिकल कालेज के चौथी मंजिल के सेमिनार हॉल से ही महिला ट्रेनी डाक्टर का शव बरामद हुआ था। इसके बाद बंगाल सहित देशभर में इस घटना के विरोध में डाक्टरों का प्रदर्शन हो रहा है।