Thane: बालमजदूरी करवाना कानूनन जुर्म है. इस सिलसिले में महाराष्ट्र के ठाणे जिले में पुलिस ने 49 साल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. बाताया जा रहा है कि अरेस्ट किया गया व्यक्ति कंपनी का मालिक है. इस आरोप में उसके खिलाफ उसकी कंपनी परिसर में बच्चों से मजदूरी कराने का मामला दर्ज किया है. जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी भी की गई.
एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि श्रम, महिला एवं बाल कल्याण विभाग और स्थानीय पुलिसकर्मियों ने शुक्रवार (22 दिसंबर) को यहां भिवंडी क्षेत्र के वेहले गांव में ‘पैकेजिंग कंपनी’ संचालित करने वाले व्यक्ति की चार दुकानों पर छापेमारी की.
इस सिलसिले में नारपोली पुलिस थाने के अधिकारी ने बताया कि छापेमारी दल को परिसर में आठ नाबालिग लड़कियां और एक नाबालिग लड़का इलेक्ट्रॉनिक सामान की पैकिंग करते हुए मिले. उन्होंने बताया कि कंपनी मालिक के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
भारत में बाल मजदूरी एक गंभीर समस्या
बाल मजदूरी एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जिसमें बच्चे आर्थिक कारणों या शोषण के कारण काम करने के लिए मजबूर होते हैं, बजाय इसके कि वे अपनी शिक्षा प्राप्त करें और खेलकूद तथा अन्य बच्चों की गतिविधियों में हिस्सा लें. बाल मजदूरी आमतौर पर खतरनाक उद्योगों, जैसे कपड़ा उद्योग, खनन, निर्माण कार्य, घरेलू सहायिका, और खेतों में होती है. यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
भारत में बाल मजदूरी को रोकने के लिए बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 लागू किया गया है, जो बच्चों को खतरनाक कार्यों में काम करने से रोकता है. 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए काम करना पूरी तरह से अवैध है, और 14 से 18 साल के बच्चों को केवल गैर-खतरनाक कामों में काम करने की अनुमति है. इसके अलावा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और अन्य संस्थाएँ बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और कानूनों को सख्ती से लागू करने का काम करती हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
भारत की जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में लगभग 10.1 मिलियन बच्चे (5-14 वर्ष) बाल मजदूरी में लगे हुए थे. इनमें से अधिकतर बच्चे कृषि, निर्माण, घरेलू कार्य, और छोटे उद्योगों में काम करते थे.