तमिलनाडु की पट्टाली मक्कल काची (PMK) पार्टी में पिछले कुछ समय से उथल-पुथल चल रही है। इस बीच गुरुवार को PMK के संस्थापक डॉ. एस. रामदास ने यह दावा करके सभी को चौंका दिया कि उन्होंने अपने सिद्धांतों के खिलाफ जाकर अपने बेटे डॉ. अंबुमणि रामदास को केंद्रीय मंत्री बनने में मदद करके एक गलती की। एस. रामदास ने हाल में घोषणा की थी कि वह अपने 56 वर्षीय बेटे को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा रहे हैं और ‘‘वह इसके स्थान पर कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहेंगे।’’ उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि वह पीएमके के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में पार्टी का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले रहे हैं।
रामदास ने यह भी दावा किया था कि अंबुमणि ने पार्टी के विकास में बाधा डाली। यहां के निकट थाइलपुरम स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए 85 वर्षीय नेता ने कहा, ‘‘मैंने अपने बेटे अंबुमणि को 35 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनाकर गलती की। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर किया।’’ उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वह पार्टी की आम परिषद की बैठक बुलाएंगे और अंबुमणि को पार्टी पद से हटा देंगे। अंबुमणि 2004 से 2009 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री थे।
कब शुरू हुआ विवाद?
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में डॉ. एस रामदास और उनके बेटे अंबुमणि रामदास के बीच मंच पर ही विवाद देखने को मिला था। तमिलनाडु के विझिपुरम में पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक में पिता-पुत्र के बीच मतभेद सार्वजनिक रूप से देखने को मिला था। दरअसल यह विवाद तब शुरू हुआ जब रामदास ने पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष पद के लिए अपने पोते पी. मुकुंदन के नाम की घोषणा की, तो अंबुमणि ने इस पर आपत्ति जताते हुए मंच से कहा कि वह चार महीने पहले ही पार्टी में शामिल हुए हैं। इसके जवाब में रामदास ने कहा कि उन्होंने ही वन्नियार संगम और पार्टी की शुरुआत की थी और जो लोग पीएमके में बने रहने में रुचि नहीं रखते हैं वे पार्टी छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं।
पिता पुत्र की तकरार ने खूब बटोरी सुर्खियां
रामदास ने इस दौरान कहा कि मुकुंदन अंबुमणि और पार्टी को 2026 के विधानसभा चुनाव में 50 सीटें जीतने में मदद करेंगे। हालांकि रामदास ने उनकी बड़ी बेटी गांधीमथी के बेटे मुकुंदन को इस दौरान मंच पर बुलाया लेकिन वे नहीं आए। अंबुमणि का तर्क था कि मुकुंदन कुछ महीने पहले ही पार्टी में शामिल हुए थे और उनके पास युवा विंग का नेता बनने के लिए पर्याप्त अनुभव नहीं था। उन्होंने कहा कि इस पद पर प्रतिभावान अनुभवी व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए। मंच पर पिता पुत्र के बीच की तकरार खूब चर्चा का विषय बनी थी।