भारतीय चुनाव में NDA को मिली जीत पर ताइवान ने नरेन्द्र मोदी को क्या बधाई दी, चीन भड़क गया। ताइवान के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ताइवान के राष्ट्रपति ने नरेन्द्र मोदी को बधाई दी थी, जिसपर नरेन्द्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी थी, मगर चीन इस बातचीत पर भड़क गया।
चीन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया पर दिए गए बयान पर भारत के सामने विरोध जताया है, जिसमें उन्होंने कहा था, कि वह ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए तत्पर हैं। जिसपर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपाकद ने धमकी देते हुए कहा, कि ‘नरेन्द्र मोदी ने हद पार कर दी।’
आपको बता दें, कि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश बताता है, जबकि चीन का दावा रहता है, कि ताइवान उसका हिस्सा है और वो बलपूर्वक ताइवान पर कब्जा करने की धमकी दे रहा है। लेकिन, चीन के विदेश मंत्रालय के बाद ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने भी भारत को धमकाने की कोशिश की है और कहा है, कि ‘मोदी ने हद पार कर दी।’
भारत पर क्यों भड़का चीन?
दरअसल, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने भारत में चुनाव खत्म होने और NDA को मिली जीत पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई संदेश भेजा था। उन्होंने एक्स पर लिखा, कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनकी चुनावी जीत पर मेरी हार्दिक बधाई।”
राष्ट्रपति लाई ने कहा, कि “हम तेजी से बढ़ रही ताइवान-भारत साझेदारी को बढ़ाने, व्यापार, टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं, ताकि इंडो-पैसिफिक में शांति और समृद्धि में योगदान दिया जा सके।”
ताइवान के राष्ट्रपति के बधाई संदेश के जवाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जवाब देते हुए कहा, कि “आपके गर्मजोशी भरे संदेश के लिए आपका धन्यवाद। मैं पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक और तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और भी करीबी संबंधों की उम्मीद करता हूं।”
लेकिन, भारत और ताइवान के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई बातचीत ने चीन को आगबबूला कर दिया है और प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, कि चीन ने इस पर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
चीनी प्रवक्ता माओ ने मीडिया ब्रीफिंग में टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर कहा, कि सबसे पहले, ताइवान क्षेत्र में कोई राष्ट्रपति नहीं है। उन्होंने कहा, “इस सवाल पर, चीन ताइवान के अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है।”
उन्होंने कहा, कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है और ताइवान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है।
आपको बता दें, कि पिछले महीने, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के अध्यक्ष लाई चिंग-ते ने ताइवान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। उन्होंने त्साई इंग-वेन से राष्ट्रपति पद संभाला है, जिनके नेतृत्व में उन्होंने चार साल तक उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
लाई चिंग-ते को चीन राष्ट्रपति नहीं मानता है, बल्कि वो उन्हें उग्रवादी मानता है। लाई चिंग-ते भी लगातार चीन पर आक्रामक रहते हैं और वो बार बार ताइवान को एक स्वतंत्र देश बताते हैं, जिसको लेकर पिछले दिनों चीन ने ताइवान को चारों तरफ घेर लिया था और भीषण युद्धाभ्यास किया था।
वहीं, ताइवान के बारे में भारत सरकार की नीति स्पष्ट और हमेशा से एक रही है, कि भारत व्यापार, निवेश, पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य लोगों के बीच आदान-प्रदान के क्षेत्रों में बातचीत को सुविधाजनक बनाती है और बढ़ावा देती है। अप्रैल में, त्साई इंग-वेन ने प्रधानमंत्री मोदी को समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया, जब ताइवान द्वीप पर 7.4 तीव्रता का भीषण भूकंप आया था।
वहीं, भारत, जिसने पहले वन चाइना पॉलिसी को अपनाया है, उसने पिछले करीब 15 सालों से वन चाइना पॉलिसी का जिक्र करना बंद कर दिया है। और माना जा रहा है, कि धीरे धीरे भारत, ताइवान को लेकर अपनी नीति बदल रहा है।
हालांकि, अभी तक बीजिंग में शीर्ष अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार (5 जून) को मोदी को बधाई दी और कहा, कि वह अपने पड़ोसी के साथ “काम करने के लिए तैयार है।” विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से कहा, “एक स्वस्थ और स्थिर चीन-भारत संबंध दोनों पक्षों के साझा हित में है और यह क्षेत्र और दुनिया में शांति और विकास के लिए भी अनुकूल है।”