मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया है। रविवार को उनकी हालत अचानक से बिगड़ गई थी, जिसके बाद जाकिर हुसैन को अमेरिका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया। पांच बार ग्रैमी अवॉर्ड विजेता रहे हुसैन के मित्र और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने रविवार को उनके अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी थी। उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस की वजह से हुई है।
उस्ताद जाकिर हुसैन का हुआ निधन
राकेश चौरसिया ने बताया था कि अमेरिका में रह रहे संगीतकार को रक्तचाप की समस्या थी। उन्होंने कहा, ‘हुसैन को पिछले सप्ताह हृदय संबंधी समस्या के कारण सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।’ हालांकि, रात तक उनके निधन की खबर को गलत बताया जा रहा था। तबला वादक के लिए वह विश्वभर में प्रसिद्ध हैं और देश-विदेश के कई बड़े सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन की पुष्टि सोमवार, 16 दिसंबर की सुबह उनके परिवार ने PTI की।
संगीत की दुनिया में जाकिर हुसैन को मिले कई पुरस्कार
जाकिर हुसैन ने 1991 में प्लैनेट ड्रम के लिए ‘ड्रमर मिकी हार्ट’ के साथ काम किया, जिसे उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड मिला था। हुसैन ने कई फिल्मों के साउंडट्रैक के लिए भी काम किया। जाकिर हुसैन को 1991 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह अटलांटा में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के लिए संगीत तैयार करने वाली टीम का हिस्सा बने थे। वह पहले भारतीय संगीतकार भी हैं, जिन्हें 2016 में एक्स अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा ‘ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट’ में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में इनवाइट किया गया था। जाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
7 साल की उम्र में बने तबला वादक
जाकिर हुसैन एक प्रसिद्ध तबला वादक हैं, जिनका जन्म 9 मार्च, 1951 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा खान अपने दौर के मशहूर तबला वादक थे। उन्होंने तबला वादन की कला अपने पिता से सीखी। उस्ताद जाकिर हुसैन ने 7 साल की उम्र में संगीत समारोहों में तबला बजाना शुरू किया था। उन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी।
इस खतरनाक बीमारी से हुआ मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन, अमेरिका में चल रहा था इलाज
दुनियाभर में शास्त्रीय संगीत में भारत को अलग पहचान दिलाने वाले उस्ताद और मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 73 साल की उम्र में जाकिर हुसैन का निधन हो गया। जाकिर हुसैन ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आखिरी सांस ली। जाकिर हुसैन हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। जिसके चलते उन्हें दिल से जुड़ी समस्याएं पैदा हुईं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण उनकी मौत हो गई।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट की मानें को जाकिर हुसैन के परिवार ने एक बयान में कहा कि उन्हें ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ नामक एक दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी थी, जिसकी वजह से कॉम्प्लिकेशन आने लगे थे।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) क्या है?
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। आप सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों में छोटी-छोटी हवा की थैलियों से होते हुए खून में जाता है और फिर यहां से शरीर के सभी अंगों को मिलता है। लेकिन आईपीएफ होने पर फेफड़ों के भीतर निशान ऊतक बढ़ने लगते हैं। जिससे सांस लेना मुश्किल होने लगता है। उम्र के साथ ये समस्या और भी खराब होने लगती है। इससे फेफड़ों के जरिए खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिससे आपके शरीर के दूसरे अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण और इलाज
आपको बता दें इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस का कोई इलाज नहीं है इस सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है। स्थिति गंभीर होने पर लंग ट्र्रांसप्लांट का विकल्प होता है। धीरे धीरे फेफड़ों में ऊतक बढ़ने लगते हैं और फेफड़ों में जख्म जैसे हो जाके हैं। जिसकी वजह से आपको सीने में दर्द या जकड़न, पैर में सूजन, भूख में कमी, गले में खराश, खांसी, थकान महसूस होना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, वजन घटना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। अगर आप किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं तो मुश्किलें और बढ़ने लगती हैं।