Chhoti Diwali Puja 2024:-कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है. छोटी दिवाली को नरक चौदस, रूप चौदस और नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. यह पर्व धनतेरस के अगले दिन और दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. दिवाली के 5 दिन के उत्सव में दूसरा दिन, छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. छोटी दिवाली की भी अपनी अलग ही विशेषता होती है. इस दिन मृत्यु के देवता माने जाने वाले, यम देव की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन ऐसा करने से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है. इस दिन यम देव के पूजन से अकाल मृत्यु और नरक के भय से छुटकारा मिलता है. इस दिन शाम के समय दक्षिण दिशा में यम देव के नाम का एक दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपक के नाम से पुकारा जाता है. इस वर्ष छोटी दिवाली का पर्व आज यानी 30 अक्टूबर को मनाया जायेगा.
छोटी दिवाली 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त (Choti Diwali 2024 Puja Ka Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर 2024 की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 11 मिनट पर होगा. छोटी दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम के 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
छोटी दिवाली को क्यों कहा जाता है नरक चतुर्दशी?
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. इनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथा के अनुसार, मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था. नरकासुर ने तीनों लोकों को अपने अत्याचार से दुखी कर रखा था. वह राजाओं की कन्याओं और स्त्रियों का अपहरण कर लिया करता था. उसने देवलोक पर आक्रमण कर दिया था और देवताओं को बंदी बना लिया था.
भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरकासुर को मारकर उसकी कैद से देवताओं और लगभग 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था. नरकासुर के वध और उसकी कैद से मुक्त हजारों लोगों के मुक्त होने की खुशी में लोगों ने दीपक जलाकर अपनी खुशी जाहिर की थी. मान्यता है कि तभी से छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है और नरकासुर के वध के कारण छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है.
छोटी दिवाली पूजा विधि (Choti Diwali Puja Vidhi)
छोटी दिवाली को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सुबह के समय तिल का तेल लगा कर स्नान करने से भगवान कृष्ण की कृपा से रूप और सौन्दर्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान कृष्ण और यमदेव के साथ साथ भगवान हनुमान जी की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन हनुमानजी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन स्नान के बाद धूप और दीप जलाकर विधि विधान से हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए .
इस दिन हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती जरूर करें इसके बाद हनुमान जी को भोग लगाएं. शाम के समय घर में दीपक जलाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख, समृद्धि आती है. इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर यम के नाम का 4 मुखों वाला आटे का दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक के नाम से जाना जाता है. इस दीपक को मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए.
छोटी दिवाली का महत्व
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन, लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर का वध कर उसके अत्याचारों से तीनों लोकों को मुक्ति दिलाई थी. छोटी दिवाली का महत्व और भी कई कारणों से है. यह सौंदर्य प्राप्ति, आयु और बल की प्राप्ति का दिन भी माना जाता है. इस दिन कई जगह हनुमान जयंती का पर्व भी मनाया जाता है. लोग घर, दुकान, कारोबार आदि जगह साफ सफाई कर फूल और लाइट से सजावट करते हैं. दीपक जलाकर अंधकार रूपी बुराई को दूर किया जाता है और सभी के लिए खुशहाली की कामना की जाती है.