राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को गुवाहाटी में बौद्धिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए संगठन के सभी स्वयंसेवकों से जाति, पंथ, क्षेत्र और भाषा से परे विभिन्न समूहों के बीच मैत्री बढ़ाने की अपील की. मोहन भागवत ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को भोजन, आवास, यात्रा और यहां तक कि अपनी अभिव्यक्ति के अनुरूप भाषा का प्रयोग करना चाहिए. सभी को अपने दैनिक कार्यों में विदेशी भाषाओं का उपयोग करने के बजाय मातृभाषा में बातचीत करनी चाहिए.
गौरतलब है कि भागवत शुक्रवार को अपने छह दिवसीय दौरे के तहत गुवाहाटी पहुंचे, जहां वे संघ के सदस्यों से मुलाकात कर संगठन को मजबूत करने के संबंध में विचार-विमर्श करेंगे. यह यात्रा संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर देशभर में किए जा रहे दौरों का हिस्सा है.
सभी समूहों के बीच मैत्री को बढ़ावा दें
दूसरी ओर, पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार संघ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि भागवत ने स्वयंसेवकों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मित्रता और सद्भाव बढ़ाने का आग्रह किया, चाहे उनकी जाति, पंथ, क्षेत्र या भाषा कोई भी हो. उन्होंने यह भी कहा कि सभी हिंदुओं को आपसी सम्मान और सहयोग की भावना से समान मंदिर, श्मशान और जल स्रोतों का उपयोग करना चाहिए.
भागवत ने जोर देकर कहा कि समाज में विभिन्न जातीय समूहों के बीच सतत सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर सद्भावना ही राष्ट्र को सकारात्मक दिशा में ले जाएगी.
पर्यावरण संरक्षण पर दिया बल
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर भी बल दिया और कहा कि पूरे समाज को जल संरक्षण, वृक्षारोपण और प्लास्टिक के कम उपयोग की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों को पारंपरिक सामाजिक मानदंडों का पालन करना चाहिए, भले ही वे कानूनी रूप से अनिवार्य न हों.
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