Sanjay Singh On Hindenburg New Report: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने हिंडनबर्ग की नई रिसर्च सामने आने के बाद केंद्र सरकार, सेबी अध्यक्ष और पीएम मोदी के परम मित्र पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि देश के लोगों का हजारों करोड़ रुपये डूब गए. मारीशस में फर्जी कंपनियां बनाकर हजारों करोड़ रुपये पूंजीपति मित्र ने निकाले. इसके लिए सिर्फ केंद्र सरकार जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि जब पीएम नरेंद्र मोदी अपने पद पर बने रहेंगे, तब तक इसकी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है, इसलिए पीएम मोदी अपने से पद से इस्तीफा दें. उन्होंने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की है.
लाखों करोड़ का हुआ नुकसान
संजय सिंह ने कहा कि पीएम के पूंजीपति मित्र के भ्रष्टाचार को उजागर करने की सजा छह महीने जेल क रूप में मुझे मिली. उन्होंने कहा कि जब 18 महीने पहले हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट आई तो पूरी दुनिया अचंभित रह गया था. इस रिपोर्ट की वजह से देश की जनता का आठ लाख 50 हजार करोड़ रुपये डूब गए. उसी समय मैंने, इसकी जांच जेपीसी से कराने की मांग की थी.
छोटे निवेशकों का सबसे ज्यादा नुकसान
आप सांसद संजय सिंह ने हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया के तमाम घोटालेबाजों को इकट्ठा कर मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से मॉरीसस में फजी कंपनियां बनाई गई. उन्हीं कंपनियों के जरिए फर्जी कंपनियों के शेयर को ओवर वैल्यू करने के लिए विदेशों से पैसा लगाया गया. इससे छोटे निवेशकों का का नुकसान हुआ.
विपक्ष के निशाने पर मोदी सरकार
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग की नई रिसर्च आने के बाद से भारत में विपक्षी दलों के नेताओं ने एक बार फिर केंद्र सरकार और अडानी पर हमला बोल दिया है. विरोधी दलों के नेताओं ने इसके लिए हिंडनबर्ग की भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ एक नई रिसर्च रिपोर्ट को आधार बनाया है.
एससी अपने फैसले पर करे पुनर्विचार
आप सांसद संजय सिंह ने इस मसले पर नई रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्र और बीजेपी की अडानी से सांठगांठ को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा, “हिंडनबर्ग खुलासे की भनक सरकार को लग गई थी. तीन दिन पहले पीएम मोदी ने संसद का सत्र समाप्त कर दिया. मोदी सरकार सिर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबी है. अपने दोस्त अडानी को बचाने के लिए पीएम मोदी ने उसी SEBI अध्यक्ष से जांच कराई, जिसने घोटाला किया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.