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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत – भारत की ताकत एकजुटता में निहित है, जो सफल और विजयी है…..दुनिया में परम शांति लाती है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत की ताकत एकजुटता में निहित है, जो सफल और विजयी है. यहां वडयाम्बडी में आरएसएस की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू जीवन शैली सभी मुद्दों का समाधान प्रदान करती है और दुनिया में परम शांति लाती है.

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस हिंदू समाज को एकजुट कर रहा है और धर्म की रक्षा के माध्यम से दुनिया को सार्थक समाधान प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि बदलाव केवल अवतारों के आने से नहीं होता.

अनुशासन और ज्ञान की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि जो लोग खुद की रक्षा नहीं कर पाते, उन्हें भगवान भी नहीं बचा सकते. हम भारत की संतान हैं. यदि हमारी मातृभूमि लाखों बच्चों के होते हुए भी कमजोर हो जाती है, तो हमारा क्या कर्तव्य है? उन्होंने कहा कि इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए हमें शक्ति की आवश्यकता है, शक्ति को प्रभावी बनाने के लिए हमें अनुशासन और ज्ञान की आवश्यकता है.

आरएसएस का मुख्य मिशन

मोहन भागवत ने कहा कि परिस्थितियों की परवाह किए बिना दृढ़ निश्चय और उद्देश्य की अटूट भावना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि केवल ऐसे मानव विकास को बढ़ावा देना ही आरएसएस का मुख्य मिशन है. उन्होंने कहा कि भारत भी विभिन्न संघर्षों को देख रहा है, किसान, उपभोक्ता, श्रमिक और यहां तक कि सत्तारूढ़ और विपक्षी दल भी आंदोलन कर रहे हैं.

सबको एकजुट करना भारतीय दर्शन

उन्होंने कहा कि युद्ध लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे समस्याओं की सूची बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि हालांकि, इन मुद्दों का समाधान भारत के भीतर ही है. मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय दर्शन सभी को एकजुट करने के बारे में है. उन्होंने कहा कि भारत विश्व के फायदे के लिए एक ताकतवर राष्ट्र के रूप में उभर रहा है. उन्होंने कहा कि इसकी विशेषता इसकी अनूठी सांस्कृतिक एकता है जो विविधता को अपने में समाहित करती है.

केरल की यात्रा पर आरएसएस प्रमुख

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह वह भूमि है जहां लोग काशी से गंगा जल लेकर आते हैं और रामेश्वरम में इसे चढ़ाते हैं. कालडि में जन्मे आदि शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में मठों की स्थापना करके इस एकता को मजबूत किया. बैठक में आरएसएस के दक्षिण क्षेत्र संघचालक आर. वन्नियाराजन और दक्षिण केरल प्रांत संघचालक एम एस रामेसन मौजूद थे. मोहन भागवत कुछ संगठनात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिए 16 से 21 जनवरी तक केरल की यात्रा पर हैं

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