गूगल मैप के भरोसे अधूरे पुल पर चढ़ी कार, चली गई तीन लोगों की जान, क्या सच में टेक्नोलॉजी है जिम्मेदार? ये सवाल तब से उठ रहे हैं, जब नेविगेशन के लिए गूगल मैप का इस्तेमाल करके गुरुग्राम से बरेली जा रही एक टैक्सी आधे-अधूरे ब्रिज पर पहुंचकर रामगंगा नदी में गिर गई. इस घटना में 3 लोगों की जान चली गई. इस घटना पर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है. क्या इसमें प्रशासन या पुल बनाने वाले कॉन्ट्रैक्टर की कोई जिम्मेदारी नहीं?
दरअसल, आज के जमाने में हम टेक्नोलॉजी पर इतने निर्भर हो गए हैं कि पुराने समय की कुछ आदतें, जैसे अनजान रास्ते या शहर में पहुंचकर वहां के स्थानीय लोगों से रास्ता पूछना, हाईवे पर ढाबों या चाय की दुकानों से आगे आने वाले पड़ावों के बारे में पूछना भूलते जा रहे हैं. इसलिए हम गूगल मैप पर दिखाए रास्ते पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं और स्पीड में कार या बाइक लेकर चलते चले जाते हैं.
टेक्नोलॉजी या लापरवाही कौन है जिम्मेदार?
ऊपर बताई घटना को लेकर सिर्फ गूगल मैप या नेविगेशन टेक्नोलॉजी पर ही सवाल नहीं उठ रहे, बल्कि कुछ और सवाल भी है. जैसे कि क्या ये उन वाहन चालकों की लापरवाही थी, जो गूगल मैप के दिखाए रास्ते पर भरोसा कर चले रहे थे. क्या ये पुल बनाने वाले कॉन्ट्रैक्टर या प्रशासन की लापरवाही थी, जिसने आधे बने पुल को लेकर किसी तरह की बैरिकेडिंग नहीं की और ना ही कोई पूर्व चेतावनी वाला बोर्ड लगाया. या फिर गूगल मैप चलाने वाली कंपनी को सही जानकारी नहीं दिखाने के लिए भी इस गलती को लेकर आरोपी बनाया जा सकता है. हालांकि अभी देश में दुर्घटना का शिकार होने वालों को किसी तकनीक पर भरोसा करने की लापरवाही के लिए सजा देने का कानूनी प्रावधान नहीं है.
देश में एक के बाद एक सड़क दुर्घटना के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें वाहन चालक गूगल मैप पर भरोसा करके ही किसी रास्ते पर आगे बढ़े थे.पुलिस भी जांच में यह मानकर चल रही है कि गूगल मैप के दिखाए रास्ते पर चलने के कारण हादसे हुए. कानून के जानकारों के मुताबिक किसी यूजर के साथ दुर्घटना होने पर नेविगेशन ऐप को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. भारत में ये ऐप भले फ्री-सर्विस यूजर को दे रहे हैं, लेकिन असल में उनका टारगेट भारतीय उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर तैयार किए जाने वाले विज्ञापन से कमाई करना है.
कानून के जानकारों का क्या है कहना?
कानूनी जानकारों का कहना है कि जब यूजर कोई ऐप डाउनलोड करता है, तब उसके सामने कई शर्तें रखी जाती हैं. इन पर मंजूरी दिए बिना वह ऐप इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इन शर्तों पर मंजूरी लेकर वह खुद को कई जिम्मेदारयों से मुक्त कर लेते हैं. इसके बावजूद ऐसी ऐप्स के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा चलाया जा सकता है, ताकि पीड़ित पक्ष को मुआवजा मिल सके.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट ज्ञानंत सिंह, अभिषेक राय और अनुपम मिश्रा का कहना है कि लॉ ऑफ टॉर्ट में नेविगेशन कंपनी, कॉन्ट्रैक्टर और प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा चलाया जा सकता है, क्योंकि इस लापरवाही के चलते लोगों की जान चली गई या कई मामलों में वह घायल हो गए. ऐसे मामले में अदालत लापरवाही के लिए नेविगेशन कंपनी को आर्थिक रूप से दंडित कर सकती है और पीड़ित पक्ष को मुआवजा मुहैया करा सकती है. तीन लोगों की मौत के पहले हादसे के मामले में सड़क विभाग के चार इंजीनियरों और गूगल मैप्स के एक अनाम अधिकारी के खिलाफ पुलिस में गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगाया है.
वकीलों का कहना है कि कुछ लोग ऐप को सटीक जानकारी न देने के लिए दोष दे रहे हैं, जबकि कुछ का तर्क जगह की घेराबंदी न करना सरकार की बड़ी विफलता है. हकीकत ये है कि इसमें दोनों ही लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं. मान लीजिए आप सड़क पर चल रहे हैं और सड़क धंस जाती है, आप दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं तो ऐसे में क्या इसे अपना दुर्भाग्य मानेंगे या फिर सड़क बनाने वाले की खामी, जाहिर है सड़क सही नहीं बनी थी तभी ऐसा हुआ. इसलिए इस मामले में नेविगेशन ऐप सही सूचना नहीं दे रही थी, यह उसकी लापरवाही है. जबकि दूसरी ओर पुल बनाने वाले या निगरानी करने वाले, जिन्होंने अधूरा पुल होने के बावजूद कोई चेतावनी वाला संकेत या बैरिकेड नहीं लगाया, ये प्रशासन और कॉन्ट्रैक्टर की लापरवाही है.
क्या कहते हैं टेक्नोलॉजी के जानकार?
इस मामले में टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट भी सावधान रहने के लिए कहते हैं. आईटी विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आप गूगल मैप का इस्तेमाल भी करते हैं, तब भी आपको कई सावधानियां बरतनी चाहिए.
- अपने मोबाइल ऐप का कंपास को कैलिबर करें.
- अपनी लोकेशन हमेशा ऑन रखें.
- रास्तों को देखते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल करें.
- ऐप सही जानकारी दे, इसके लिए अच्छी बैंडविथ का इंटरनेट या हाई स्पीड इंटरनेट ऑप्शन ऑन करके रखें. मैप जैसी ऐप के लिए डेटा सेवर का उपयोग नहीं करें.
गूगल की ओर से आया ये बयान?
इस दुर्घटना को लेकर गूगल के प्रवक्ता का कहना है कि वह अथॉरिटी के साथ मिलकर काम कर रहें हैं और जांच में पूरा सहयोग कर रहें हैं. कंपनी को हर रोज गूगल के बारे में करोड़ों शिकायतें मिलती हैं. हर शिकायत देख पाना उसके लिए संभव नहीं है. ऐसे में आंख मूंदकर भरोसा करना उचित नहीं है और रास्तों को देखते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.