Rakesh Tikait: किसान नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में तो बीजेपी का पैर कुल्हाड़ी पर लग रहा है. हरियाणा में उनका अब है क्या? भाजपाई तो वहां निपट गए. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता की यह अहम टिप्पणी ‘एबीपी न्यूज’ पर डिबेट शो ‘सीधा सवाल’ के दौरान आई.
हिमाचल प्रदेश में मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत के किसानों और कृषि कानूनों से जुड़े बयानों को लेकर चर्चा के दौरान सीनियर टीवी पत्रकार संदीप चौधरी के सवाल पर राकेश टिकैत बोले, “देखें, इनके (बीजेपी) के सांसद बयान दे रहे हैं. यह तो हो सकता है कि वे इनमें पब्लिक ओपीनियन ढूंढ रहे हैं. हालांकि, यह किसी सरकार की हिम्मत नहीं होगी कि जिस आंदोलन में 750 किसान शहीद हो गए, कोई भी सरकार उस कानून को वापस नहीं ला पाएगी. सरकार अगर ऐसा करेगी तो देश का बच्चा-बच्चा आंदोलन के लिए तैयार है पर ये पब्लिक के विचार जरूर जानते हैं.”
एलके आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का भी छेड़ा जिक्र!
राकेश टिकैत ने संदीप चौधरी से दावा किया, ” चाहे सत्ता के लोग हों या बाहर के लोग हों, वे कैमरा पर भले ही न कहें मगर वे इस कानून के खिलाफ हैं. किसान संगठन देश में मजबूत हैं. वे जहां-जहां भी आंदोलन कर रहे हैं, वे खेत में काम कर रहे हैं…ऐसे बयानों से आहत हुए हैं और वे उनके लिए तैयार हैं. बीजेपी बहुत शातिर पार्टी है. एक आदमी से बयान दिलवाया फिर उसी को निजी बताया. जिस दल में किसी मंत्री को बोलने का अधिकार नहीं है, जहां लाल कृष्ण आडवाणी (96) और मुरली मनोहर जोशी (90) को टीवी पर जाने और बोलने का अधिकार नहीं है, उस दल के सांसद अनर्गल बयान दे रहे हैं. यह सब बीजेपी का एजेंडा है, जिसके तहत पब्लिक ओपीनियन के लिए बयान दिलवाए जाते हैं.”
एमएल खट्टर पर क्या बोले किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल?
डिबेट के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने फोन पर बताया, “प्रधानमंत्री ने किसानों को आंदोलनजीव बताया. अगर वह ऐसा बयान देंगे तो दूसरे भी बोलेंगे. पिछले किसान आंदोलन के समय जब एमएल खट्टर सीएम थे तब उन्होंने किसानों को लाठियां मारने की बात कही थी. ये ऐसी तो आइडियोलॉजी (हिंसा के संदर्भ में) के लोग हैं!”
संयोग या प्रयोग…क्या संकेत दे रहे कंगना रनौत के बयान?
दरअसल, एक्टिंग की दुनिया से बीजेपी सांसद बनीं कंगना रनौत ने मोदी सरकार की ओर से निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग की थी, जिसके बाद फिर विवादों में आईं. कंगना रनौत का यह बयान भी वैसा ही था जैसा कि वह पिछली टिप्पणी के जरिए विवाद पैदा करती रही हैं. नतीजतन क्वीन फेम एक्ट्रेस के ताजा बयान उनकी राजनीतिक सोच को लेकर सवाल खड़े करते नजर आए हैं और एक्सपर्ट्स सोचने भी लगे कि क्या उनका ऐसा व्यवहार और विवादित बयानबाजी संयोग है या सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है?
चुनावी समर के बीच बीजेपी नहीं चाहती कोई बड़ा बवाल!
कंगना रनौत के कृषि कानूनों को वापस लाओ वाली बयान पर उनकी ही पार्टी की तरफ से तत्काल प्रतिक्रिया भी आई. बीजेपी ने फौरन उनकी टिप्पणियों से दूरी बना ली और इस बात पर जोर दिया कि वह पार्टी की प्रवक्ता नहीं हैं और न ही वह पार्टी के विचारों को रखने के लिए अधिकृत हैं. चूंकि, हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल दमखम लगा रहे हैं और वहां भाजपा की सरकार है और वह भी एक बार फिर से प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए मैदान में है. ऐसे में यह घटना विशेष रूप से संवेदनशील है, जहां किसान चुनावी शक्ति रखते हैं. कंगना रनौत के बयान पर जिस तरह से बीजेपी की त्वरित प्रतिक्रिया आई उससे साफ पता चल गया कि वह विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर कोई बवाल नहीं चाहती है, जिससे पार्टी की छवि को चुनाव के दौरान कोई नुकसान पहुंचे. बाद में कंगना रनौत को भी सार्वजनिक तौर पर इस बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी.