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प्रयागराज में लग रहे महाकुंभ 2025 की तैयारी अंतिम चरण में, महाकुंभ से हवाई अड्डा मार्ग पर विशेष डिजाइन में तैयार होने वाले इन खंभों को आस्था का स्तंभ कहा गया

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 12 साल बाद लग रहे महाकुंभ की महातैयारी जारी है. इसी क्रम में हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सड़क पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 84 स्तंभ लगाया जा रहा है. लाल बलुआ पत्थरों को काटकर बने इन स्तंभों को ‘आस्था के स्तंभ’ नाम दिया गया है. करीब 17 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इन स्तंभों पर भगवान शिव के 108 नाम लिखे गए हैं. इसी प्रकार सभी स्तंभों के ऊपर सनातन का प्रतीक कलश भी लगा है. शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत अभिजात के मुताबिक ये स्तंभ राजस्थान के बंसी पहाड़पुर में बने हैं और प्रत्येक के निर्माण में करीब 20 लाख की लागत आई है.

उन्होंने इन स्तंभों की खासियत बताते हुए कहा कि कोई भी साधक जब इन स्तंभों की परिक्रमा पूरी करेगा तो उसे 84 लाख योनियों का सफर पूरा कर लेने की अनुभूति होगी. इसी परिक्रम में साधकों को सांकेतिक रूप से जीवन के सभी चक्रों को पूरा करने के साथ ही सनातन धर्म और दर्शन की गूढ़ शिक्षाओं का भी ज्ञान होगा. महाकुंभ से हवाई अड्डा मार्ग पर इन स्तंभों की लगाने वाली एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक असली कारीगरी इन स्तंभों को व्यवस्थित करने में है. दरअसल ये 84 स्तंभ को चार हिस्सों में लग रहे हैं.

4 हिस्सों में लग रहे हैं स्तंभ

यह चार हिस्से सनातन धर्म के चार वेद, चार आश्रम, चार वर्ण और चार दिशाओं को दर्शाते हैं. यही नहीं बाएं से दाहिनी तरफ प्रत्येक स्तंभ 1 लाख योनियों का प्रतिनिधित्व करेंगे. ऐसे में जब इन स्तंभों की एक परिक्रमा पूरी होते ही 84 लाख योनियों का सफर पूरा होगा. कहा कि प्रत्येक स्तंभ पर भगवान शिव के 108 नाम दर्ज हैं और इन नामों को भी चार भागों में लिखा गया है. इस प्रकार इन 84 स्तंभों की परिक्रमा ब्रह्मांड की परिक्रमा के समतुल्य होगी. अधिकारियों के मुताबिक चार हिस्सों में विभाजित कर इन स्तंभों को लगाया जा रहा है. ऐसे में प्रत्येक हिस्से में 21 स्तंभ होंगे.

आत्मा की गति को दर्शाते हैं ये स्तंभ

दरअसल, आत्मा सदैव अपने अस्तित्व की तलाश करती है. इसके लिए उसे 84 लाख बार अलग अलग योनियों में धरती पर आना पड़ता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह पूरा चक्र 21 लाख की चार श्रेणियों में विभाजित है. इसी प्रकार जब आत्मा मानव शरीर में आती है तो चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का लक्ष्य हासिल करने के लिए ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आदि आश्रमों से गुजरना पड़ता है. इसी प्रकार आस्था के ये स्तंभ आत्मा को भरोसा देते हैं कि शिवकृपा से वह आवागमन से मुक्त होकर अपने परम गति को प्राप्त होंगे.

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