महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर सीएम पद को लेकर अनबन शुरू हो गई। सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली बीजेपी के नेता चाहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनें। वहीं, शिवसेना के विधायकों का मानना है कि महायुति को पहले की तरह एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री चुनना चाहिए। इस बीच महाराष्ट्र में भी बिहार के फॉर्मूले पर सरकार बनाने की बात चल रही है। बिहार में भाजपा विधायक ज्यादा हैं, लेकिन मुख्यमंत्री जेडीयू के नीतीश कुमार ही हैं। शिवसेना चाहती है कि बिहार की तरह महाराष्ट्र में महायुति एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री चुने।
बीजेपी में नाराजगी
मुख्यमंत्री पद पर शिंदे सेना के दावे से बीजेपी में नाराजगी है। बीजेपी नेता और विधायकों की मांग है कि देवेंद्र फड़नवीस को सीएम बनाया जाए। बीजेपी के मेनिफेस्टो कमेटी के प्रमुख और पूर्व सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने शिंदे सेना को आइना दिखाते हुए साफ शब्दों में कहा कि दबाव बनाने से कोई फायदा नहीं होगा। मुख्यमंत्री पद पर बीजेपी झुकने वाली नहीं है।
इन नेताओं ने किया फडणवीस का समर्थन
विनय सहस्त्रबुद्धे के अलावा सातारा से बीजेपी विधायक और शिवाजी महाराज के वंशज शिवेंद्र राजे भोंसले, बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर और बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक और पूर्व मंत्री संजय कूटे ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा “दबाव बनाने की कोशिश कोई कर रहा है तो दबाव बनेगा नहीं। दबाव तब बनता है, जब कोई दबने वाला हो। यहां कोई दबने वाला नहीं है। महाराष्ट्र की जनता ने आंकड़ों के आधार पर बता दिया है कि सीएम कौन बनेगा। अब दबाव, कुर्बानी इन शब्दों का कोई मतलब नहीं है। जो भी फैसला लिया जाएगा, सामंजस्य के आधार पर लिया जाएगा। सक्षम और अनुभवी नेतृत्व में सरकार बनेगी।”
बिहार पैटर्न पर क्या बोले?
बिहार के पैटर्न पर महाराष्ट्र में सरकार बनाने के सवाल पर विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा “यह शिंदे सेना की डिमांड है। डिमांड रखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन हम गठबंधन धर्म को मानने वाले लोग हैं। हम अपनी मर्यादा में बात करेंगे। महाराष्ट्र की जनता के मन में जो है वही मुख्यमंत्री बनेगा।”
2019 में क्या हुआ था ?
2019 में शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में चुनाव लड़े थे। हालांकि, सीएम पद को लेकर दोनों पार्टियों के बीच अनबन हो गई। पहले फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाए। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बना ली और मुख्यमंत्री बन गए। कुछ समय बाद शिवसेना और एनसीपी दोनों पार्टियों में फूट पड़ गई। एकनाथ शिंदे शिवसेना के अधिकतर विधायकों को लेकर बीजेपी के साथ हो गए और अजित पवार एनसीपी के अधिकतर विधायकों को लेकर बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हो गए। उद्धव सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे की अगुआई में बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना की गठबंधन सरकार सत्ता में आई।