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ओडिशा: बालासोर जिले के एक कॉलेज की छात्रा ने शैक्षणिक संस्थान परिसर में खुद को आग लगा ली, 90 प्रतिशत तक जल गई, प्रिंसिपल और टीचर सस्पेंड

बालेश्वरः ओडिशा के बालेश्वर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। फकीर मोहन कॉलेज की एक छात्रा ने कॉलेज परिसर में खुद को आग लगा लिया। बताया जा रहा है कि यह कदम उसने कॉलेज के एक शिक्षक द्वारा लंबे समय से किए जा रहे उत्पीड़न के चलते उठाया। यह पूरी घटना कॉलेज के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई है, जिसमें लड़की जलने के बाद दर्द से भागती हुई दिखाई दे रही है। इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष को सस्पेंड कर दिया गया है।

घटना शनिवार की दोपहर एफएम कॉलेज परिसर में हुई। छात्रा इंटीग्रेटेड बीएड प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में पढ़ती है। छात्रा ने कॉलेज के इंटीग्रेटेड बीएड विभाग के HOD समीर कुमार साहू पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया है। छात्रा ने कई बार इस उत्पीड़न की शिकायत की थी, लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया।

धरने पर बैठी थी छात्रा, सुनवाई नहीं होने पर उठाया कदम

छात्रा ने पहले भी कई बार कॉलेज प्रशासन से शिकायत की थी। उसने विरोध में प्रदर्शन भी किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं, छात्रा कुछ दिनों से कॉलेज गेट पर धरने पर भी बैठी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के दौरान छात्रा कॉलेज के बाहर अकेली आई थी। उसके पास केरोसिन का डब्बा था। कुछ ही देर बाद उसने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। जैसे ही आग की लपटें उठीं, वह दर्द से चीखते हुए भागने लगी।

छात्रा और छात्र गंभीर रूप से झुलसे

इस दिल दहला देने वाले घटना की तस्वीर पास लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसमें छात्रा आग की लपटों में लिपटी हुई इधर-उधर दौड़ती नजर आई। छात्रा को बचाने के लिए एक अन्य छात्र दौड़ा और उसने आग बुझाने की कोशिश की। लेकिन आग इतनी भयानक थी कि वह छात्र भी गंभीर रूप से झुलस गया। दोनों को तुरंत स्थानीय लोगों ने बालेश्वर जिला अस्पताल पहुंचाया। वहां से दोनों को एम्स भुवनेश्वर रेफर किया गया, क्योंकि हालत बहुत नाजुक थी।

आरोपी शिक्षक पुलिस हिरासत में

छात्र संगठनों का कहना है कि यदि समय रहते छात्रा की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया होता, तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी घटनाएं लगातार क्यों हो रही हैं और प्रशासन क्यों चुप बैठा है?

जैसे ही घटना की खबर फैली, बालेश्वर टाउन थाना पुलिस कॉलेज पहुंची। उन्होंने उग्र होते छात्रों को समझाने की कोशिश की और कॉलेज प्रशासन से बातचीत की। इसके बाद पुलिस ने आरोपी शिक्षक समीर कुमार साहू को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ शुरू कर दी है।

प्रिंसिपल और टीचर सस्पेंड

इस घटनाक्रम के बाद आरोपी शिक्षक समीर कुमार साहू और कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष को सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपी समीर को हिरासत में भी ले लिया है।

प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष का सामने आया बयान

इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष ने कहा, “30 तारीख को मेरे पास शिकायत आई थी। दरअसल घटना की शुरुआत मिड सेम की परीक्षाओं से हुई थी। जो बच्चे क्लास के दौरान अनुपस्थित रहते हैं,उन्हें हम परीक्षाओं में बैठने नहीं देते हैं । उन्हें नोटिस दिया जाता है पर उसके बाद उन्हें कुछ दिन क्लास करने के बाद अनुमति दे दी जाती है। इस घटना में भी कठोर कदम उठाए गए थे। हमेशा से ऐसा ही होता आया है। मैंने परमिशन दिया था कि जो लोग कई दिनों तक अनुपस्थित रहते हैं उन्हें हम डिबार्ड करेंगे और कुछ दिनों के क्लास के बाद उन्हें एलाऊ करेंगे। पीड़ित लड़की समेत 9 और लड़कियों को डिबार्ड किया गया था और उन्हें नोटिस दिया गया था। जिस दिन यह  घटना घाटी उस दिन लगभग 5/6 लड़कियों को एलाऊ गया था।

इस लड़की ने फिर से क्लास में अनुपस्थित रहना शुरू कर दिया लिहाजा उसे फिर से क्लास में परीक्षा देने से रोका गया था। उसके बाद लड़की ने अपने दोस्तों को मानसिक रूप से परेशान हो कर काफी बातें बताई। उसके बाद मेरे पास 30 तारीख को कुछ बच्चे आए। उस दिन उन्होंने मुझे कई बातें बताई। उन्होंने मुझे बताया कि अध्यापक उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं। इसके साथ साथ उनमें से एक लड़की ने मुझे बताया कि गार्डन के पास अध्यापक उससे मिले और उन्होंने उस लड़की से फिजिकल फेवर की मांग की और कहा कि अगर वो ऐसा करती है तो सब ठीक हो जाएगा।

पीड़िता की प्रिंसिपल से हुई थी बहस

इस मामले में एक कमेटी का गठन हुआ था। कमेटी में 3 वरिष्ठ अध्यापिकाएं थीं। उनके साथ नॉन गैजेटेड अफसर थे, कुछ छात्र प्रतिनिधि और कॉलेज के बाहर के प्रतिनिधि भी कमेटी में शामिल थे। कमेटी ने हमसे 15 दिन का समय मांगा था पर फिर भी 7 दिनों के अंदर विभिन्न अध्यापकों और छात्रों से बातचीत कर एक रिपोर्ट को तैयार किया गया था। 2 दिन पहले मुझे रिपोर्ट सौंपी भी गई थी।

इसी बीच कुछ छात्र हमसे जल्दी एक्शन लेने को कहने लगे, मैंने कहा था कि रिपोर्ट को देखने के बाद ,सोच समझ कर कोई फैसला लिया जाएगा। आज जब पीड़ित छात्रा मेरे पास आई थी। मैने उसे समझाया भी कि हम इस मामले में एक्शन जरूर लेंगे। लगभग 20 मिनट तक मैंने छात्रा को समझाया, अचानक वह मुझे समीर की बात को लेकर बहस करने लगी। मुझ पर जल्दी एक्शन लेने का दबाव बनाने लगी और कहने लगी कि मैं और इंतजार नहीं कर सकती। ऐसा कह कर वह चली गई।

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