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आजकल लोग जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए कोई न कोई रत्न पहने रहते है और जीवन में उनके शुभ फल मिलते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रत्न पहनने के शुभ परिणाम क्यों मिलते हैं. आइए जानते हैं …

Gemstones Importance: रत्नों को प्राचीन काल से ही आभूषणों के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. इनका उपयोग ज्योतिष शास्त्र में भी किया जाता है. माना जाता है कि रत्न ग्रहों से जुड़े होते हैं और इन्हें धारण करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह का एक विशेष रत्न होता है. जब कोई व्यक्ति कोई विशेष रत्न धारण करता है, तो वह संबंधित ग्रह के प्रभाव को कम या बढ़ा सकता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है, तो उस ग्रह का रत्न धारण करके उसे मजबूत किया जा सकता है.

ऐसी मान्यता है कि रत्नों में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है जो व्यक्ति के शरीर और मन पर प्रभाव डालती है. सही रत्न धारण करने से शरीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है. रत्न धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह सकारात्मक सोच रखने लगता है. कुछ रत्न वास्तु दोष को दूर करने में भी मदद करते हैं. उदाहरण के लिए, नीलम रत्न को घर में रखने से वास्तु दोष दूर होता है.

क्यों पहनते हैं रत्न?

माना जाता है कि रत्नों में कई तरह की दैवीय और सकारात्मक शक्तियां होती हैं. ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति का भाग्य उसकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की शुभ-अशुभ चाल और दशा पर निर्भर करता है. ऐसे में व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों को शुभ बनाने या फिर शुभ ग्रहों को और शुभ बनाने के लिए रत्नों को धारण करने की परंपरा है.

रत्न कितने प्रकार के होते हैं

मुख्य रूप से नौ तरह के रत्न होते हैं जिनमें माणिक्य, मोती, पन्ना, मूंगा, पुखराज, हीरा,नीलम, गोमेद और लहसुनिया

राशियां और उनके रत्न

सभी 12 राशियों के स्वामी ग्रहों के रत्न भी होते हैं. मेष और वृश्चिक के स्वामी ग्रह मंगल होते हैं इनकी रत्न राशि मूंगा है. इसी प्रकार वृष और तुला के स्वामी ग्रह शुक्र का हीरा, मिथुन और कन्या के स्वामी ग्रह बुध का पन्ना, धनु और मीन के स्वामी ग्रह वृहस्पति का पुखराज, मकर और कुंभ के स्वामी ग्रह शनि के नीलम, सिंह राशि के स्वामी सूर्य का माणिक्य और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा के स्वामी का रत्न मोती होता है.

रत्नों का ज्योतिष में महत्व

रत्नों का प्रयोग प्राचीन काल से ही ज्योतिष, आध्यात्मिक और रोगों के उपचार में किया जाता रहा है. रत्न में सकारात्मक शक्तियों का समावेश होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार रत्न का सीधा संबंध ग्रहों से होता है. सभी नौ ग्रहों का संबंध रत्नों से होता है. जैसे चंद्रमा का रत्न मोती है, बुध का रत्न पन्ना , गुरु का रत्न पुखराज, शुक्र का रत्न हीरा, शनि का रत्न नीलम, सूर्य का रत्न माणिक्य, राहु का रत्न गोमेद और केतु का लहसुनिया है. रत्नों को पहनने से जब रत्न शरीर को स्पर्श करता है उसका सकारात्मक असर व्यक्ति पर पड़ता है. अलग-अलग रत्नों में कई गुण होते हैं.

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