नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली के बीच समझौता पर हस्ताक्षर हुआ है. हालांकि सत्तारूढ़ पार्टियों के गठबंधन द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद प्रचंड प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए हैं. नेपाली कांग्रेस प्रमुख देउबा ने प्रधानमंत्री प्रचंड से इस्तीफा देने को कहा कि वह इस्तीफा दें, ताकि नई सरकार का गठन हो सके. शेर बहादुर देउबा ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से इस्तीफा देने की मांग की. उन्होंने कहा कि सीपीएन-यूएमएल ने समर्थन वापस ले लिया है. इस कारण अब उनका बहुमत नहीं रहा है. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और नए सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. देउबा और पी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने के लिए सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर किए. वे संसद के शेष कार्यकाल के लिए रोटेशन के आधार पर प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए हैं. देउबा और ओली के बीच एक नया गठबंधन बनाने और प्रधानमंत्री पद को बारी-बारी से साझा करने के समझौते का भी समर्थन किया गया.
सीपीएन-यूएमएल ने समर्थन लिया वापस
सीपीएन-यूएमएल के प्रचंड मंत्रिमंडल में आठ मंत्री हैं, जिनमें उप प्रधानमंत्री और भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन मंत्री रघुबीर महासेठ शामिल हैं. प्रधानमंत्री प्रचंड द्वारा कांग्रेस के साथ अपनी एक साल पुरानी साझेदारी को खत्म करते हुए सीपीएन-यूएमएल के साथ गठबंधन करने के बाद सीपीएन-यूएमएल 5 मार्च को सरकार में शामिल हुई थी. रिजाल ने कहा कि यूएमएल के सभी मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
बुधवार को हुई बैठक में मुख्य रूप से नई गठबंधन सरकार के गठन के एजेंडे और तौर-तरीकों पर चर्चा हुई. समझौते के तहत ओली पहले चरण में प्रधानमंत्री पद संभालेंगे और डेढ़ साल बाद नेपाली कांग्रेस को सरकार का नेतृत्व मिलेगा. इस बीच, जनता समाजवादी पार्टी नेपाल के प्रवक्ता मनीष सुमन ने कहा कि उनकी पार्टी नए गठबंधन का समर्थन करेगी, लेकिन सरकार में शामिल होने पर अभी फैसला नहीं किया है. जेएसपी नेपाल के संसद में पांच सदस्य हैं. प्रतिनिधि सभा में 14 सदस्यों वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और चार सीटों वाली लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी ने भी नए गठबंधन को समर्थन देने का संकेत दिया है.
प्रचंड ने इस्तीफा देने से किया इनकार
हालांकि, संकटग्रस्त प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे. सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री को 30 दिनों के अंदर विश्वास मत हासिल करना होगा. यह पांचवीं बार होगा जब 69 वर्षीय प्रचंड डेढ़ साल के कार्यकाल के भीतर विश्वास मत मांगेंगे.
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में नेपाली कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 89 है, जबकि सीपीएन-यूएमएल के सदस्यों की 78 सीटें हैं. निचले सदन में 138 सीटों के बहुमत के लिए उनकी संयुक्त ताकत 167 है. प्रचंड की पार्टी के पास 32 सीटें हैं.