मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के मामलों की सुनवाई एकसाथ करने के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की री-काल अर्जी खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने बुधवार दोपहर बाद खुली अदालत में सुनाया। मामले पर अब अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी। अदालत अब वाद के बिंदु तय करेगा।इस आदेश के बाद हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल डेढ दर्जन मुकदमों पर एकसाथ सुनवाई का रास्ता साफ़ हो गया है। कोर्ट ने इस आदेश से इसी साल 11 जनवरी के अपने फैसले को सही ठहराया है। शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने हिन्दू पक्ष की ओर से दाखिल 18 मुकदमों पर एकसाथ सुनवाई किए जाने के आदेश को री-काल करने की मांग में अर्जी दाखिल की थी।शाही ईदगाह पक्ष की तरफ से कहा गया था कि हिंदू पक्ष के मुकदमों में असमानताएं हैं और अलग-अलग मांग की गई है इसलिए इन मुकदमों को एक साथ नहीं सुना जाना चाहिए। यह भी कहा गया था कि पोषणीयता तय होने से पहले मुकदमों को आपस में क्लब नहीं किया जा सकता। इस अर्जी पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने गत 16 अक्टूबर को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था।मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि इस आदेश से उनका सभी मामलों का विरोध करने का अधिकार छिन जाएगा। जबकि हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि मामलों को एकसाथ जोड़ने से यह नहीं होगा कि सभी मामलों का विरोध करने का अधिकार रुक जाएगा। मामलों को एकसाथ जोड़ना न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति है और इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा बदला नहीं जा सकता है। कोर्ट ने एक अगस्त के आदेश में मामलों को एक साथ जोड़ने का निर्णय लिया था लेकिन अभी तक कोई मुद्दा नहीं उठाया गया है और न्यायालय केवल अर्जियों की सुनवाई कर रही है। जिनमें 18 मुकदमे शामिल हैं।इससे पहले एक अगस्त 2024 को न्यायमूर्ति जैन ने मुस्लिम पक्ष की अर्जियों को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदू पक्षों की ओर से दाखिल मामलों की स्थायित्व को चुनौती दी गई थी। मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद के बारे में विवाद है, जिसका निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को तोड़कर किया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष (शाही-ईदगाह प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) इस मामले का विरोध कर रहे हैं।
मुस्लिम पक्ष के आवेदन का हिंदू पक्ष ने किया था विरोध
मुस्लिम पक्ष के इस आवेदन का विरोध करते हुए हिंदू पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि एक बार अदालत ने विचार कर लिया कि राहत समान है, संपत्ति समान है और प्रतिवादी समान हैं तो इन मुकदमों को समेकित करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में है और किसी भी पक्ष को इसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है। हिंदू पक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि इस तरह की आपत्तियों का उद्देश्य सुनवाई को लटकाना है। अदालत ने एक अगस्त 2024 के आदेश में मुद्दे तय करने को कहा था, लेकिन आज की तिथि तक कोई भी मुद्दा तय नहीं हुआ है और अदालत केवल आवेदनों पर सुनवाई कर रही है।
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे भी 18 मुकदमों की सुनवाई
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि मुकदमों को समेकित करने का यह अर्थ नहीं है कि सभी मुकदमों को लड़ने का अधिकार थम जाएगा। उनके मुताबिक, मुकदमों को समेकित करना इस अदालत का विवेकाधिकार है और इसे किसी व्यक्ति द्वारा बदला नहीं जा सकता। वहीं, अहमदी ने कहा कि जब तक मुद्दे तय नहीं हो जाते, यह नहीं कहा जा सकता कि ये मुकदमे एक समान हैं। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन इन सभी 18 मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं।
इससे पूर्व, एक अगस्त 2024 को न्यायमूर्ति जैन ने हिंदू पक्षों द्वारा दायर इन मुकदमों की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी।
हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं। यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसे कथित तौर पर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष (शाही ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) ने इन मुकदमों का विभिन्न आधार पर विरोध किया है।