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मुहर्रम का जुलूश शानो शौक़त से निकाला गया उन्नाव गंगा घाट में

शुक्लागंज गंगा घाटउन्नाव में बड़े ही शान्ति पूर्वक और धूम
धाम से मनाया गया मुहर्रम का त्यौहार प्रशासन भी चुस्त दुरुस्त रहा।

मुहर्रम की दस तारीख को आशूरा के रूप में मनाया जाता है, जो इस्लाम में विशेष महत्व रखता है। यह दिन शिया और सुन्नी मुसलमानों के लिए अलग-अलग कारणों से महत्वपूर्ण है। यहाँ इसका संक्षिप्त विवरण है:शिया मुसलमानों के लिए:आशूरा का दिन हजरत इमाम हुसैन (र.अ.), पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) के नवासे, की शहादत की याद में मनाया जाता है। यह 61 हिजरी (680 ईस्वी) में करबला (आज का इराक) में हुई घटना की स्मृति है, जहाँ इमाम हुसैन और उनके साथियों को यज़ीद की सेना ने शहीद कर दिया।मनाने का तरीका:मातम और ताज़िया: शिया समुदाय मातम (शोक) सभाएँ आयोजित करता है, जहाँ इमाम हुसैन की शहादत की कहानियाँ सुनाई जाती हैं। ताज़िया (करबला की घटना का प्रतीकात्मक मॉडल) निकाला जाता है।जुलूस: शोक जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें लोग काले कपड़े पहनते हैं और मातम करते हैं।रोज़ा और दुआ: कुछ लोग इस दिन रोज़ा रखते हैं और दुआएँ माँगते हैं।दान और खैरात: जरूरतमंदों को खाना और पानी बाँटा जाता है, जो इमाम हुसैन और उनके साथियों की प्यास को याद करता है।सुन्नी मुसलमानों के लिए:सुन्नी परंपरा में, आशूरा का दिन हजरत मूसा (अ.स.) और उनकी कौम के फिरौन से निजात पाने की याद में महत्वपूर्ण है। पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने इस दिन रोज़ा रखने की सलाह दी थी।मनाने का तरीका:रोज़ा: सुन्नी मुसलमान 9वीं और 10वीं मुहर्रम (या 10वीं और 11वीं) को रोज़ा रखते हैं। यह रोज़ा ऐच्छिक (नफ्ल) होता है।दुआ और इबादत: इस दिन विशेष दुआएँ और नमाज़ पढ़ी जाती हैं।सदका और खैरात: दान देना और दूसरों की मदद करना भी इस दिन की प्रथा है।सामान्य परंपराएँ:शोक और सम्मान: मुहर्रम का पहला महीना शोक का समय होता है, इसलिए जश्न या उत्सव से बचा जाता है।सादगी: लोग सादा जीवनशैली अपनाते हैं और इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हैं।समुदायिक एकता: यह दिन एकता, त्याग, और धार्मिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।भारत में आशूरा:भारत में, खासकर लखनऊ, हैदराबाद, दिल्ली, और अन्य शहरों में, शिया समुदाय बड़े पैमाने पर ताज़िया जुलूस और मातम सभाएँ आयोजित करता है। सुन्नी समुदाय मुख्य रूप से रोज़ा और इबादत पर ध्यान देता है। हिंदू और अन्य समुदाय भी कई जगहों पर इन जुलूसों में सम्मान के साथ शामिल होते हैं, जो भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को दर्शाता है।
Riporter :तारिक निज़ामी
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