मध्य प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियाज खान (IAS Niyaz Khan) अपने बयानों से हमेशा में चर्चा में रहते हैं. अब एक बाद फिर से उन्होंने ऐसा बयान दे डाला जिसके बाद उन्हें उस पर सफाई भी देनी पड़ गई. आईएस नियाज खान ने मुसलमानों (Poulation of Muslims) की बढ़ती आबादी पर सवाल उठाया. इसके लिए मौलवी और मदरसा एजुकेशन को जिम्मेदार बताया.
माइक्रो ब्लोगिंग साईट एक्स पर लिखा, “दुनियां में जिस तरह मुस्लिम आबादी बढ़ी है उसने बड़ी समस्या पैदा कर दी है. अफ्रीका में तो दस-दस बच्चे हो रहे हैं. हमारे देश में भी निचले तबके में यही हाल है. जब तक मौलवी-मदरसा सिस्टम चलेगा तार्किक सोंच नहीं आयेगी. केवल सही शिक्षा ही इसे नियंत्रण कर सकती है.” उनका इशारा सीधे तौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमान की तरफ था.
लेकिन बाद में जब इस पोस्ट पर विवाद बढ़ा तो आईएस नियाज खान ने इस पर अपनी सफाई भी पेश की. उन्होंने कहा कि दुनिया में इस वक्त लगभग 8 अरब आबादी है, जिसमें मुसलमानों की संख्या लगभग 2 अरब के आसपास है. दक्षिण अफ्रीकी देश, पकिस्तान और अफगानिस्तान में लोग 10- 15 बच्चे तक पैदा कर रहे हैं.
उनका जीवन स्तर बेहद खराब है. नियाज खान ने कहा कि उनका सन्दर्भ पूरी दुनिया के मुसलमानों को लेकर था, न कि सिर्फ भारत के मुसलमानों को लेकर. खान ने कहा कि अगर आबादी कम होगी, परिवार की संख्या सिमित होगी, तो बच्चे को अच्छी शिक्षा देने में लोग सक्षम होंगे.
पहले भी दिया था बयान
नियाज खान इससे पहले भी अपने कुछ बयानों को लेकर चर्चा में रहे थे. उन्होंने मध्य प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर चल रहे विवाद के समय भी कहा था कि मुस्लिम भाई भी गौ रक्षक बनें. धर्म परिवर्तन का विरोध करें. किसी का धर्म न बदलवाएं. जबरन धर्म बदलवाना इस्लाम में प्रतिबंधित है. अगर शाकाहार अपना सकें तो यह एक बेहतरीन प्रयास होगा. यद्यपि शाकाहारी बनने को बाध्य नहीं किया जा सकता. हर मुस्लिम भाई ब्राह्मणों से मधुर संबंध रखें. नियाज खान ने अपनी किताब ‘ब्राह्मण द ग्रेट’ जारी कर भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं.