Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया के माध्यम से ये सूचना तेजी से वायरल हो गई कि मध्य प्रदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लागू होने के बाद सारी खदानों को बंद करते हुए पोर्टल भी बंद कर दिया गया है. अब किसी की भी वहां की रॉयल्टी नहीं बनेगी, जिसकी वजह से बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई करने का कार्य पूरी तरह ठप हो जाएगा. एबीपी न्यूज़ ने पूरे मामले की सच्चाई का पता लगाया तो आधी बात सही निकली, जबकि आधी गलत साबित हुई.
बुधवार को सोशल मीडिया के माध्यम से ये बात तेजी से फैलने लगी कि एनजीटी लगने के बाद अब सरकार रॉयल्टी जनरेट करने का पोर्टल बंद करने जा रही है. इसके साथ ये भी कहा गया कि अब बिल्डिंग मटेरियल के भाव आसमान पर पहुंच जाएंगे. सरकार की ओर से पोर्टल बंद करने के साथ-साथ खदानों को भी बंद कर दिया गया है.
पोर्टल बंद नहीं हुआ- डीजीएम
इस मामले में जब खनिज विभाग के डीजीएम आईएएस अधिकारी अनुराग चौधरी से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि 30 जून के बाद से ही खदानों को बंद कर दिया गया है. एनजीटी लागू होने के बाद बालू रेत की खदाने बंद हो गई है, मगर पोर्टल बंद नहीं किया गया है. पोर्टल को बंद किया भी नहीं जा सकता है.
उन्होंने ये भी कहा कि जो एनजीटी के नियमों का पालन नहीं करेगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि मध्य प्रदेश में एनजीटी के नियमों का सख्ती से पालन कराया जा रहा है.
लाखों लोगों का जुड़ा है व्यवसाय
बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई करने वाले व्यापारी राजू जैन के मुताबिक बिल्डिंग मटेरियल के व्यापार से लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है. मध्य प्रदेश में कई दुकान पर बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई किया जाता है. ऐसे में सरकार जो भी फैसला लेती है वो व्यापारियों के हित में लेती है.
व्यापारी सुरेश सिंह के मुताबिक मध्य प्रदेश में प्रतिदिन करोड़ों रुपये के बिल्डिंग मटेरियल का व्यापार होता है. इनमें रेती, गिट्टी, बालू रेत, सरिया और सीमेंट शामिल हैं. सरकार को इस व्यापार से करोड़ों रुपये का जीएसटी भी मिलता है.