क़तर की राजधानी दोहा में गाज़ा में सीजफायर और बंधकों की रिहाई के समझौते पर एक बार फिर बैठक होने जा रही है. इस बैठक में इजराइल और मध्यस्थता कराने वाले देशों को प्रतिनिधिमंडल शामिल होंगे. हालांकि हमास की ओर से इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया गया है लेकिन ईरान-इजराइल के बढ़ते तनाव के बीच यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है.
वहीं हमास के आरोपों पर इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट कर कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है. नेतन्याहू के दफ्तर की ओर से कहा गया है कि 27 मई के प्रस्ताव में नई शर्तों का आरोप गलत है. 27 जुलाई को नेतन्याहू का पत्र उस प्रस्ताव को लेकर न तो नई शर्तें प्रस्तुत करता है और न ही विरोधाभाषी है. बल्कि हमास की ओर से 27 मई के प्रस्ताव में 29 बदलाव करने की मांग की गई थी जिसे इजराइली प्रधानमंत्री ने इनकार कर दिया.
दोहा में बैठक से रुकेगी जंग?
टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक इजराइली प्रतिनिधिमंडल में खुफिया एजेंसी मोसाद और शिन बेत के अध्यक्ष शामिल हैं. गाज़ा में करीब 10 महीने से जारी युद्ध और हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत के बाद इस सीजफायर वार्ता के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी दबाव बनाया जा रहा था. मध्यस्थता कराने वाले देशों अमेरिका, क़तर और मिस्त्र की ओर से हमास और इजराइल से कहा गया था कि अब देरी करने की कोई वजह नहीं बची है. वहीं फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने भी इस अपील का समर्थन करते हुए हमास और इजराइल से बातचीत के टेबल पर साथ आने और जल्द समझौता करने का आह्वान किया गया था. जिसके बाद इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू तो इस बैठक में डेलिगेशन भेजने को राज़ी हो गए लेकिन हमास ने इस बातचीत से किनारा कर लिया है.
हमास का इजराइल पर आरोप
हमास ने आरोप लगाया है कि इजराइली प्रधानमंत्री ने कुछ नई शर्तें लगाईं हैं लिहाज़ा वह नए सिरे से बातचीत के लिए राजी नहीं है. हमास ने कहा है कि 27 मई को अमेरिका की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव पर ही फैसला होना चाहिए. 31 मई को इस प्रस्ताव को सार्वजनिक करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस स्थायी युद्धविराम और बंधकों की रिहाई का रोडमैप बताया था.
ताज़ा जानकारी के मुताबिक हमास भले ही इस वार्ता में हिस्सा नहीं ले रहा है, लेकिन वह मध्यस्थता कराने वाले देशों क़तर और मिस्त्र के अधिकारियों के जरिए उसे बैठक की जानकारी दी जाएगी. अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि इस बैठक के बाद गाज़ा में सीजफायर डील पर फैसला संभव हो सकता है.
अमेरिका के प्रस्ताव में क्या था?
अमेरिका ने गाजा में संघर्षविराम के लिए एक तीन स्तरीय प्रस्ताव पेश किया था. इस प्रस्ताव के अनुसार इजराइली बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई, साथ ही गाज़ा से इजराइली सेना की वापसी सुनिश्चित की जानी थी. इसके अलावा गाजा के पुनर्निमाण की योजना भी इस प्रस्ताव में शामिल थी, अमेरिका के इस प्रस्ताव पर UNSC के 14 सदस्यों ने भी समर्थन जताया था. इसके अलावा इजराइल-फिलिस्तीन विवाद के जड़ से खात्मे के लिए टू स्टेट थ्योरी पर भी जोर दिया जा चुका है.