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Manmohan Singh Death: अपने आर्थिक सुधारों के दम पर अर्थव्यवस्था को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के बारे में जानने के लिए पढ़े

CM योगी का ये मंत्री 3 साल रहा था मनमोहन सिंह का बॉडीगार्ड, पूर्व PM का किस्सा बताते हुए हो गए भावुक

Yogi Minister Asim Arun bodyguard for 3 years Manmohan Singh now emotional on former PM Death CM योगी का ये मंत्री 3 साल रहा था मनमोहन सिंह का बॉडीगार्ड, पूर्व PM का किस्सा बताते हुए हो गए भावुक

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) की रात दिल्ली के AIIMS में निधन हो गया. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार के सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए और सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. पूर्व पीएम के निधन पर यूपी के मंत्री असीम अरुण भावुक हुए हैं उन्होंने एक किस्सा भी बताया है.

पूर्व पीएम के निधन पर योगी के मंत्री असीम अरुण ने लिखा-“मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडीगार्ड रहा. एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है- क्लोज प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था. एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता. यदि एक ही बॉडीगार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा. ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी.”

 

योगी के मंत्री ने लिखा-“डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी. मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति). मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है. लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते. जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है.”

बता दें कि असीम अरुण एनएसजी से ब्लैक कैट कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पहले आईपीएस अधिकारी 2004 में बने. उन्होंने टिहरी गढ़वाल, बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थनगर, अलीगढ़, गोरखपुर व आगरा जिलों में पुलिस प्रमुख के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी संभाली. उनकी अंतिम तैनाती पुलिस कमिश्नर कानपुर के पद पर रही.

 ‘मुझे किया जा सकता है बर्खास्त’ क्यों मनमोहन सिंह को बोलने पड़े ये शब्द!

‘दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ चुका है’. साल 1991 में बतौर वित्त मंत्री बजट पेश करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कहे गए इस वाक्य की गूंज हमेशा सुनाई देती रहेगी. यही वो वाक्य है जिसने भारत की तकदीर को बदलकर कर रख दिया. जिसके दम पर आज भारत ग्लोबल इकॉनमिक पावर (Global Economic Power) है. 1991 में बजट पेश करने के साढ़े तीन दशकों के बाद आज भारत पूरी दुनिया में अपने जिस तेज गति से विकास कर रही अर्थव्यवस्था पर नाज कर रहा है इसका श्रेय डॉ मननोहन सिंह को ही जाता है जिनके योगदान के लिए ये देश हमेशा उन्हें याद करता रहेगा.

भारत को संकट से उबारने की मिली जिम्मेदारी

1991 में पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने. तब भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद संकट के दौर से गुजर रही थी. भारत दिवालिया घोषित होने के कगार पर खड़ा था. आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो चुका था. तब पीवी नरसिम्हा राव ने भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने की जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को सौंपी और उन्हें इस संकट को टालने के लिए कठिन फैसले लेने को कहा. रुपये के अवमुल्यन का फैसला लिया गया जिससे एक्सपोर्ट्स को आकर्षक बनाया जा सके. आरबीआई ने विदेशी बैकों के पास 47 टन सोना गिरवी रख विदेशी मुद्रा भंडार उधार लिया साथ ही इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से 2 अरब डॉलर का कर्ज लिया गया.

24 जुलाई 1991 को मनमोहन सिंह ने पेश किया ऐतिहासिक बजट  

1991 में 24 जुलाई को जब मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया तब उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म करने का एलान किया जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज विकास में सबसे बड़े बाधा के तौर पर देखा जा रहा था. भारत में आर्थिक उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई. कई सेक्टर्स को विदेशी निवेश के लिए खोला गया. कॉरपोरेट टैक्स को बढ़ाया गया और रसोई गैस और चीनी पर सब्सिडी को घटाया गया. और मनमोहन सिंह के इस फैसले का असर ये हुआ कि दो सालों में ही विदेशी मुद्रा भंडार एक अरब डॉलर से बढ़कर 10 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और भारत पर जो संकट मंडरा रहा था वो टल गया.

जब मनमोहन सिंह बोले – ‘मुझे किया जा सकता है बर्खास्त’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन और गुरशरण (Strictly Personal: Manmohan and Gursharan” by Daman Singh) में लिखा भी है कि, मजाकिया लहजे में पीवी नरसिम्हा ने कहा कि इन फैसलों के चलते सबकुछ ठीक हो गया तो हम सब इसका श्रेय ले सकेंगे और गलत हुआ तो मुझे बर्खास्त भी किया जा सकता है. हालांकि पीवी नरसिम्हा – मनमोहन सिंह की जोड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को जिस पथ पर लेकर चले उसके बाद जितनी भी सरकारें देश में बनी, जिस भी दल के नेतृत्व में बनी उन सभी सरकारों ने आर्थिक सुधार और उदारीकरण के फैसले को आगे ही बढ़ाने का काम किया और इसी का नतीजा है कि भारत दुनिया की आज पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार हो चुका है

मुगलई, साउथ इंडियन या चाइनीज, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को क्या पसंद था, परिवार को कहां ले जाते थे खिलाने

मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में खुलासा किया कि उनके पिता ने कभी भी अपने परिवार के किसी सदस्य को सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी. परिवार के सदस्य चाहें तो किसी खास जरूरत के लिए भी इस गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे.
दमन सिंह के अनुसार उनके पिता को घर के आम कामों में भी कोई खास अनुभव नहीं था. उदाहरण के लिए उन्हें न तो अंडा उबालना आता था और न ही टीवी चालू करना आता था. ये छोटे-छोटे किस्से बताते हैं कि मनमोहन सिंह एक बहुत ही साधारण और ईमानदार व्यक्ति थे जिन्होंने कभी अपनी निजी जिंदगी में किसी भी तरह की सुविधा को प्राथमिकता नहीं दी.
मनमोहन सिंह का परिवार हर दो महीने में बाहर खाना खाने जाता था. दमन सिंह बताती हैं कि वे अक्सर कमला नगर के कृष्ण स्वीट्स में दक्षिण भारतीय खाना खाते थे या फिर दरियागंज के तंदूर में मुगलाई खाना. चाइनीज खाने के लिए वे मालचा रोड स्थित फुजिया रेस्टोरेंट जाते थे और चाट खाने के लिए उनकी पसंद बंगाली मार्केट था.
मनमोहन सिंह का शैक्षिक जीवन भी बहुत प्रेरणादायक था. उन्होंने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम) किया. 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक में डी.फिल की डिग्री हासिल की.
मनमोहन सिंह ने 1971 में भारतीय सरकार में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया. इसके बाद वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने. 1980-82 के दौरान वे योजना आयोग के सदस्य रहे और 1982-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने 1987-90 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में काम किया.
मनमोहन सिंह ने 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम शुरू किया. उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए. वे 1991-96 तक वित्त मंत्री रहे और फिर 1998-2004 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. 2004 से 2014 तक वे भारत के प्रधानमंत्री बने और देश की राजनीति में अपने नेतृत्व के लिए याद किए गए.
मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन भारत के आर्थिक सुधारों और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण था. उन्होंने 1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम किया और उसी साल असम से राज्यसभा के लिए चुने गए. इसके बाद वे 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से राज्यसभा के सदस्य बने. उनके कार्यकाल में देश ने कई महत्वपूर्ण सुधारों का सामना किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की.

मनमोहन सिंह ने 28 साल पहले खरीदी थी ये महंगी कार, गाड़ी खरीदने के लिए इस शख्स ने की मदद

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है. पूर्व पीएम को गुरुवार, 26 दिसंबर 2024 की रात तबीयत बिगड़ने की वजह से एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां रात 9 बजकर 51 मिनट पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पूर्व पीएम के निधन पर देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया है.

मनमोहन सिंह के पास थी ये कार

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ज्यादातर सादगी में नजर आए थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे गाड़ी में घूमने का भी शौक रखते थे. पूर्व पीएम ने साल 1996 में उस दौर में भी एक कार खरीदी थी, जब उनकी जेब में गाड़ी खरीदने के लिए कैश मौजूद नहीं था. तब उन्होंने एक खास शख्स से कैश लिया और अपने घर मारुति 800 लेकर आए. वो शख्स कोई और नहीं, बल्कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर थीं.

मनमोहन सिंह की कार की क्या थी कीमत?

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने जब साल 2013 में असम की राज्यसभा सीट से उम्मीदवारी के लिए एफिडेविट दायर किया था, तब उन्होंने उसमें अपनी संपत्ति का जिक्र किया था. इस एफिडेविट से पता चला कि मनमोहन सिंह के कार कलेक्शन में मारुति 800 का 1996 मॉडल शामिल है. उस दौरान पूर्व पीएम ने इस कार को करीब 21 हजार रुपये में खरीदा था, जिसमें से 20 हजार रुपये उनकी पत्नी गुरशरण कौर ने दिए थे.

मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रीय शोक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन की खबर के बाद से पूरे देश में राष्ट्रीय शोक रखा गया है. वहीं दुनियाभर से पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी जा रही है. मनमोहन सिंह के निधन के बाद राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है. भारत सरकार ने आज शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024 के सभी निर्धारित कार्यक्रम भी रद्द कर दिए हैं. पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा

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