Manmohan Singh Dealth:-भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। उन्हें गुरुवार को तबीयत बिगड़ने के बाद रात 8 बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था।
मनमोहन सिंह को सांस लेने में दिक्कत के बाद एम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया है। कई डॉक्टरों की टीम उनकी देखरेख कर रही थी। उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। दिल्ली एम्स ने उनके निधन की पुष्टी की है।
डॉक्टर मनमोहन सिंह को सियासत और अर्थशास्त्र का ‘पंडित’ कहा जाता था। जब देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा था, तो उनके कई बड़े फैसलों ने देश को विकास की दिशा में नई ऊर्जा दी। मनमोहन सिंह के नाम कई बड़ी उपलब्धियां दर्ज हैं। देश के प्रति उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।
पीएम मोदी ने की थी तारीफ
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मैं विशेष रूप से मनमोहन सिंह जी का स्मरण करना चाहूंगा. छह बार इस सदन में वो अपने मूल्यवान विचारों से और नेता के रूप में भी और प्रतिपक्ष में भी नेता के रूप में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है.” मोदी ने कहा कि वैचारिक मतभेदों के कारण कभी बहस के दौरान छींटाकशी हो जाती है लेकिन वह बहुत अल्पकालीन होता है.
उन्होंने कहा, ”लेकिन इतने लंबे अरसे तक जिस प्रकार से उन्होंने इस सदन का मार्गदर्शन किया है, देश का मार्गदर्शन किया है, वो हमेशा-हमेशा जब भी हमारे लोकतंत्र की चर्चा होगी… कुछ सदस्यों की जो चर्चा होगी, उसमें डॉ. मनमोहन सिंह की योगदान की चर्चा जरूर होगी.”
क्या कहा था पीएम मोदी ने?
प्रधानमंत्री ने कहा था कि जो भी सदस्य इस सदन में आता है, वह चाहे किसी भी दल का क्यों न हो, अपने कार्यकाल के दौरान वह अपनी प्रतिभा और व्यवहार के दर्शन जरूर कराता है. उन्होंने कहा कि ऐसे सदस्यों के कार्यकाल से मार्गदर्शक के रूप में सीखने का प्रयास होना चाहिए.
डॉ. मनमोहन सिंह की बड़ी उपलब्धियां
- आर्थिक सुधारों के पुरोधा
- रोजगार गारंटी योजना
- आधार कार्ड की शुरुआत
- INDIA-US न्यूक्लियर डील
- शिक्षा का अधिकार
मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को हुआ था हुआ था। उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की और आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की थी। 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने। इसके बाद उनके कंधों पर जिम्मेदारियां बढ़ती गई। 1982 से 84 तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर रहे। 1985 से 87 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद 1991 से 1996 तक केंद्रीय वित्त मंत्री रहे। 1998 से 2004 तक राज्यसभा में नेता विपक्ष की भूमिका अदा की और 2004 से 2014 तक देश के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में काम किया।