महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद अब राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पेंच फंसा हुआ है. राज्य की जनता ने बीजेपी, शिवसेना और अजित गुट की एनसीपी वाली महायुति को बहुमत दिया है. नतीजों के तीन दिन बाद भी महायुति की ओर से मुख्यमंत्री के नाम पर फाइनल मुहर नहीं लग पाई है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी जल्द ही पर्यवेक्षकों का नाम तय करेगी. पर्यवेक्षकों में पार्टी के सीनियर नेता और मंत्री को शामिल किया जाएगा.
पार्टी की ओर से तय पर्यवेक्षक महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक दल की बैठक में शामिल होंगे. जहां, विधायकों से चर्चा के बाद विधायक दल के नेता के नाम पर फैसला लेंगे. माना जा रहा है कि बीजेपी विधायक दल की बैठक से पहले ही गठबंधन में शामिल सहयोगियों से चर्चा करके यह तय कर लेगी कि मुख्यमंत्री किस दल का होगा.
क्या चाहते हैं बीजेपी के कार्यकर्ता?
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इतनी बड़ी जीत के बाद पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा से मुख्यमंत्री बने. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व का यह भी मानना है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चयन के वक्त बीजेपी कार्यकर्ताओं की इस भावना का भी ख्याल रखा जाएगा. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक सीएम किस पार्टी को होगा ये तय करने में कोई विवाद नहीं है.
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बीजेपी का पलड़ा भारी
मुख्यमंत्री के चयन को लेकर बीजेपी का पलड़ा इसलिए भारी है क्योंकि वो अकेले दम पर 132 सीटें जीती है. जबिक शिंदे गुट की शिवसेना 57 और अजित गुट की एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है. ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री चेहरे के लिए बीजेपी सहयोगियों पर भारी पड़ सकती है. वैसे भी चुनाव से पहले महायुति में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई डील नहीं हुई थी.
ढाई-ढाई साल का फार्मूला भी हो सकता है
महाराष्ट्र में एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री का फार्मूला हो सकता है. ऐसी भी चर्चा है कि अगले ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर विचार किया जा सकता है. पहले ढाई साल एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद चाहते हैं. इसके बाद कमान देवेन्द्र फडणवीस को मिल सकती है. ये सब संभावनाएं और चर्चाएं हैं. हालांकि, बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम पर जोर दे रही है. दूसरी ओर शिंदे नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. अजित पवार गुट ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का समर्थन किया है.
‘किसी भी राष्ट्र में विचलन होना स्वाभाविक है, लेकिन…’
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून के शासन के लिए बेंच और बार दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर अपनी संवैधानिक भूमिका पूरी तरह से निभाई है और दुनिया भर की संवैधानिक अदालतों के लिए एक मॉडल रही है. जिसमें बुनियादी संरचना सिद्धांत, पीआईएल, निजता का अधिकार जैसे कुछ नाम शामिल हैं. किसी भी राष्ट्र में विचलन होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अदालतें अपने कर्तव्य के प्रति सतर्क रहें. हम सभी को जनता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ना चाहिए. हमें कठिन प्रश्नों के सैद्धांतिक और कल्पनाशील उत्तर तैयार करने चाहिए.