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Mahashivratri: महाकालेश्वर मंदिर में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता, महाकाल के दरबार में कैसे मनाई जाती है शिव नवरात्रि? जानिए धार्मिक वजह

Mahashivratri: प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दरबार में शिव नवरात्रि पर्व मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के 9 दिन पहले से पर्व की शुरुआत होती है और भगवान महाकाल को अलग-अलग स्वरूप में दूल्हा बनाया जाता है. इसके पीछे खास धार्मिक वजह है.

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है. महाकालेश्वर मंदिर के आशीष पुजारी बताते हैं कि कालों के काल भगवान महाकाल के दरबार में ही केवल महाशिवरात्रि पर्व बनाकर भगवान को अलग-अलग स्वरूप में दूल्हा बनाया जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कालों के कल भगवान महाकाल मणिपुर चक्र पर विराजित है.

प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक भगवान चंद्र मौलेश्वर, मन महेश, शिव तांडव, उमा महेश आदि स्वरूप में प्रजा को दर्शन देते हैं. जब भगवान निराकार रूप से साकार रूप धारण कर सका रूप में आते हैं तो बड़ी संख्या में शिव भक्त भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं.

महाकालेश्वर मंदिर के महेश पुजारी बताते हैं कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर पर विराजित भगवान महाकालेश्वर के दरबार में ही शिव नवरात्रि मनाई जाती है. दूसरे ज्योतिर्लिंगों में केवल महाशिवरात्रि का पर वही मनाया जाता है.

महाशिवरात्रि के बाद दिन में होती है भस्म आरती

विश्व भर के करोड़ों शिव भक्तों के आकर्षण का केंद्र मानी जाने वाली भस्म आरती महाशिवरात्रि के अगले दिन दोपहर के समय होती है. महाकालेश्वर मंदिर में वर्ष भर में एक बार भगवान महाकाल की दिन में 12:00 बजे भस्म आरती की जाती है, शेष सभी दिनों में भस्म आरती ब्रह्म मुहूर्त में होती है. शिव नवरात्रि के साथ महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत हो जाती है.

 

 

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