महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस होंगे ये तय हो गया है, लेकिन सीएम चुनने में महायुति को 10 दिन का वक्त लगा. चुनाव परिणाम आने के बाद से तीनों ही दल कहते रहे कि सबकुछ ठीक है, लेकिन सब ठीक होने के बावजूद सीएम चुनने में 10 दिन लग गए.
महाराष्ट्र में सीएम को लेकर संस्पेंस खत्म हो गया है, कल नई सरकार का गठन हो जाएगा, लेकिन चुनाव परिणाम आने से लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उथल पुथल रही. एक नाथ शिंदे का रुठना, फिर मान जाना, अजित पवार का तेवर दिखाना समेत कई ऐसी राजनीतिक घटनाक्रम रहे जिन्होंने राजनीतिक विश्लेषकों को भी किसी परिणाम पर नहीं पहुंचने दिया. हालांकि जैसा तय माना जा रहा था भाजपा ने ठीक वैसा ही किया.
शिंदे का रूठना, फिर मान जाना
महाराष्ट्र का चुनाव परिणाम 23 नवंबर को आया. इसके साथ ही एकनाथ शिंदे अचानक से मीडिया से दूर हो गए. तीन दिन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने बातचीत के दौरान यह तय कर दिया कि मुख्यमंत्री का पद बीजेपी के पास ही रहेगा. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने ठाणे स्थित अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुख्यमंत्री पर दावा छोड़ दिया.
मंत्रीपद को लेकर रार
मुख्यमंत्री के पद पर बेशक एकनाथ शिंदे ने अपने हथियार डाल दिए लेकिन मंत्रालय में गृह और वित्त विभाग को लेकर अड़ गए. इन सबके बीच उन्होंने किसी से मिलना जुलना छोड़कर गांव का रूख कर लिया. इस प्रोसेस में चार दिन लग गए. बीजेपी ने यहा भी साफ कर दिया कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा.
अजित पवार ने भी दिखाए तेवर
मंत्रीपद को लेकर एनसीपी सुप्रीमो अजित पवार ने भी अपनी डिमांड रखी. इसके साथ ही उन्होंने मंत्रालय को लेकर वित्त विभाग में दिलचस्पी दिखाई. मुम्बई में बात बनती नहीं देखकर दिल्ली दरबार का भी रूख किया. दो दिन तक दिल्ली में रहने के बाद भी सफलता हासिल नहीं हुई. बीजेपी के किसी भी आला नेता से मुलाकात नहीं हो पायी. अंततः उन्हें वापस मुम्बई आना पड़ा.
कहीं कोई और शामिल ना हो जाए!
सूत्रों की माने तो शुरुआत में बीजेपी से नाराज होने को लेकर महायुति के सदस्य दल अलग अलग तरह का राग अलापते नजर आए. तभी इन्हें इस बात की भनक लगी की बीजेपी के सम्पर्क में महाविकास अघाडी के भी नेता हैं. इसके बाद बताया गया कि राजनीतिक हलकों में महायुति के दोनों दलों के तेवर नरम हुए.