मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. जिले के चंदेरी क्षेत्र के नानकपुर गांव में एक युवक का अंतिम संस्कार भारी बारिश के बीच खुले आसमान के नीचे करना पड़ा. ऐसा सिर्फ इसलिए करना पड़ा क्योंकि गांव के श्मशान घाट का उद्घाटन नहीं हुआ था. मृतक युवक पवन कुमार अहिरवार (25) हाल ही में एक दुर्घटना में घायल हुआ था.
इलाज के बाद वह घर लौटा, लेकिन रविवार को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई. फिर युवक की मौत हो गई. जब परिजन उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए गांव के नए श्मशान घाट लेकर पहुंचे, तो पंचायत सचिव सविता रजक ने कहा कि श्मशान घाट का उद्घाटन नहीं हुआ है. इसलिए वहां अंतिम संस्कार नहीं हो सकता. पूरा क्षेत्र लगातार बारिश की चपेट में था.
ऐसे में मजबूर होकर परिवार वालों और ग्रामीणों ने पास के एक खुले मैदान में अंतिम संस्कार के अस्थायी इंतजाम किए. लोहे की टीन और लकड़ियों से ढांचा बनाया गया. कुछ लोग टीन को हाथ से पकड़े रहे, ताकि शव भीग न जाए. चिता जलाने के लिए बार-बार डीजल डालना पड़ा. इतना ही नहीं बारिश की वजह से चिता की आग कई बार बुझी.
यह दृश्य हर किसी के मन में यही सवाल छोड़ गया कि क्या मरने के बाद भी इंसान उद्घाटन का मोहताज होगा. परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पंचायत से अंत्येष्टि सहायता राशि और लकड़ियों की व्यवस्था की भी गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुना. वहीं गांव के लोगों का कहना है कि श्मशान घाट महीनों पहले से बनकर तैयार है, लेकिन सिर्फ उद्घाटन न होने की वजह से ये अमानवीय स्थिति बनी.
यह घटना सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. सवाल ये है कि अगर श्मशान घाट का उपयोग नहीं हो सकता, तो फिर उसका निर्माण किसलिए कराया गया. क्या अब किसी की मौत पर भी फीता काटने की रस्म पूरी होने का इंतजार करना होगा.