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Lucknow: लखनऊ का इतिहास, नामकरण, उपलब्धियां, राजनीतिक इतिहास, वर्तमान समय में लखनऊ का वर्गीकरण, जानने के लिए यहां पढ़े

Lucknow History:-लखनऊ का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है. यह शहर हमेशा से एक सांस्कृतिक और राजनीतिक केंद्र रहा है. इसे ‘नवाबों का शहर’ और ‘पूर्व का कॉन्स्टेंटिनोपल’ जैसे नामों से भी जाना जाता है.

आइए, लखनऊ के इतिहास की कुछ मुख्य बातें जानते हैं:

प्राचीन काल और सल्तनत काल
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र को भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने बसाया था, इसलिए इसका पुराना नाम ‘लक्ष्मणपुर’ था. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह शहर प्राचीन कौशल साम्राज्य का हिस्सा था.
मुगल काल और नवाबों का उदय
मुगल काल में, लखनऊ अवध प्रांत का हिस्सा था और दिल्ली के अधीन था. 1722 में, मुगल सम्राट मुहम्मद शाह ने सादात अली खान I (जिसे बुरहान-उल-मुल्क के नाम से भी जाना जाता है) को अवध का गवर्नर (सूबेदार) नियुक्त किया. इसी के साथ अवध के स्वतंत्र नवाबों का शासन शुरू हुआ, जिसने लखनऊ के इतिहास को पूरी तरह से बदल दिया.
अवध के नवाबों का स्वर्णिम युग
नवाबों के शासनकाल (1722-1856) को लखनऊ का स्वर्णिम युग माना जाता है. इस दौरान, कला, संस्कृति, वास्तुकला, संगीत और कविता का अभूतपूर्व विकास हुआ.

आसफ़-उद-दौला (1775-1797) के शासनकाल में लखनऊ को अवध की राजधानी बनाया गया. उन्होंने बड़ा इमामबाड़ा और रूमी दरवाज़ा जैसी प्रसिद्ध इमारतों का निर्माण करवाया.

वाजिद अली शाह (1847-1856) आखिरी नवाब थे. वह खुद एक कवि, नर्तक और संगीतकार थे. उनके शासनकाल में कथक नृत्य और ठुमरी संगीत का विकास हुआ.

1857 का विद्रोह

1856 में, अंग्रेजों ने वाजिद अली शाह को हटाकर अवध पर कब्ज़ा कर लिया. इसके एक साल बाद, 1857 के सिपाही विद्रोह में लखनऊ एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा. बेगम हज़रत महल, जो वाजिद अली शाह की बेगम थीं, ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया. उन्होंने अपने बेटे बिरजिस क़द्र को नवाब घोषित किया. लखनऊ में ब्रिटिश रेजीडेंसी पर कई महीनों तक घेराबंदी चली, जो इस विद्रोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी.

ब्रिटिश राज और आज़ादी के बाद
1858 में, अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचल दिया और लखनऊ को ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रांतों की राजधानी बनाया. ब्रिटिश शासन के दौरान भी शहर का विकास जारी रहा, जिसमें शिक्षा और प्रशासन में कई बदलाव हुए.

1947 में भारत की आज़ादी के बाद, लखनऊ को उत्तर प्रदेश की राजधानी बनाया गया. आज यह एक आधुनिक शहर है, जो अपनी समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक पहचान को बनाए हुए है.

लखनऊ का नामकरण
लखनऊ का नामकरण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के नाम पर हुआ है। माना जाता है कि लक्ष्मण ने गोमती नदी के किनारे एक टीले पर ‘लक्ष्मणपुर’ नामक शहर बसाया था। इसी लक्ष्मणपुर को बाद में लखनपुर और फिर लखनऊ के नाम से जाना जाने लगा।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस शहर का नाम देवी लक्ष्मणा के नाम पर रखा गया है, जो एक प्राचीन हिंदू देवता थीं। यह माना जाता है कि इस क्षेत्र में एक मंदिर था जो देवी लक्ष्मणा को समर्पित था।

लखनऊ की उपलब्धियां (Achievements of Lucknow)
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, एक समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत वाला शहर है। इसने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत
“नवाबों का शहर” (City of Nawabs): लखनऊ अपनी नवाबों की संस्कृति, शिष्टाचार और खूबसूरत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां की तहज़ीब (शिष्टाचार) और मेहमाननवाज़ी दुनिया भर में मशहूर है।
भवन और स्मारक: शहर में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, जैसे बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा और घंटाघर। ये इमारतें अवधी वास्तुकला की बेहतरीन मिसाल हैं।
2. कला और साहित्य
अवधी भाषा और साहित्य: लखनऊ अवधी भाषा और साहित्य का केंद्र रहा है। यहां कई प्रसिद्ध कवि और लेखक हुए हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया है।
कथक नृत्य: लखनऊ कथक नृत्य के प्रमुख घरानों में से एक है। लखनऊ घराना अपनी विशिष्ट शैली, भाव-भंगिमा और नृत्य की सुंदरता के लिए जाना जाता है।
3. शिक्षा और अनुसंधान
शिक्षण संस्थान: लखनऊ में कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान हैं, जैसे लखनऊ विश्वविद्यालय, बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI)। ये संस्थान शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधान: शहर में कई अनुसंधान संस्थान भी हैं, जैसे केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
4. आर्थिक विकास
आईटी और उद्योग: लखनऊ एक उभरता हुआ आईटी हब बन रहा है। यहां कई सॉफ्टवेयर कंपनियां और स्टार्टअप स्थापित हो रहे हैं। इसके अलावा, शहर में कपड़ा, हस्तशिल्प और चिकनकारी उद्योग भी काफी प्रसिद्ध हैं।
बुनियादी ढांचा: लखनऊ ने मेट्रो रेल सेवा, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और एक्सप्रेसवे जैसी बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधाओं का विकास किया है, जिससे शहर का आर्थिक और सामाजिक विकास हो रहा है।
लखनऊ ने अपनी अनूठी पहचान को बनाए रखते हुए आधुनिकता की ओर भी कदम बढ़ाए हैं, जिससे यह न केवल इतिहास में बल्कि वर्तमान में भी एक महत्वपूर्ण शहर बना हुआ है।

लखनऊ का राजनीतिक इतिहास
लखनऊ का राजनीतिक इतिहास कई शताब्दियों पुराना है और इसमें विभिन्न राजवंशों, साम्राज्यों और आधुनिक युग के राजनीतिक बदलावों का गहरा प्रभाव रहा है।

प्राचीन काल से नवाबों का शासन
पौराणिक काल: पौराणिक कथाओं के अनुसार, लखनऊ को भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित किया था, इसलिए इसे “लक्ष्मणपुर” या “लखनपुर” के नाम से भी जाना जाता था।

अवध के नवाब: 18वीं शताब्दी में अवध के नवाबों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाया। नवाबों के शासनकाल में लखनऊ कला, संस्कृति, वास्तुकला और तहज़ीब का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। नवाबों ने कई भव्य इमारतों का निर्माण कराया, जिनमें बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और रूमी दरवाज़ा प्रमुख हैं। हालाँकि, बाद के नवाबों को विलासी और अक्षम माना गया, जिससे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को इस क्षेत्र पर नियंत्रण करने का अवसर मिला।

ब्रिटिश अधिग्रहण: 1856 में लॉर्ड डलहौजी ने अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह को हटाकर अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया।

इस अधिग्रहण ने 1857 के विद्रोह को भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आधुनिक भारतीय राजनीति में लखनऊ
स्वतंत्रता आंदोलन: लखनऊ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा। 1916 में लखनऊ समझौता हुआ, जिसने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक मंच पर लाया। इस समझौते ने हिंदू-मुस्लिम एकता का एक प्रतीक स्थापित किया, हालांकि यह एकता लंबे समय तक नहीं चली।

स्वतंत्रता के बाद: स्वतंत्रता के बाद, लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी बना और राज्य की राजनीति का केंद्र बन गया। लखनऊ ने कई प्रमुख राजनेताओं को जन्म दिया, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान: लखनऊ को “अटल बिहारी वाजपेयी” के शहर के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने 1991 से 2004 तक लगातार पांच बार लखनऊ संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया और भारत के प्रधानमंत्री भी रहे।

वर्तमान परिदृश्य: वर्तमान में, लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मजबूत प्रभाव है। राजनाथ सिंह, जो भारत के वर्तमान रक्षा मंत्री हैं, 2014 से लखनऊ से सांसद हैं। राज्य विधानसभा में भी भाजपा का प्रभुत्व है, हालांकि समाजवादी पार्टी और अन्य दलों का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है।

लखनऊ के प्रमुख राजनेता:

अटल बिहारी वाजपेयी: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, जो लखनऊ से कई बार सांसद रहे।

राजनाथ सिंह: वर्तमान रक्षा मंत्री और लखनऊ से सांसद।

रविदास मेहरोत्रा: समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता और लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधायक।

ब्रजेश पाठक: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक।

योगी आदित्यनाथ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री।

लखनऊ का राजनीतिक इतिहास इसकी सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक राजनीति का एक मिश्रण है, जिसने इसे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

वर्तमान समय में लखनऊ का वर्गीकरण
लखनऊ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है और इसे विभिन्न मापदंडों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख वर्गीकरण दिए गए हैं:

टियर (Tier) वर्गीकरण: लखनऊ को टियर-2 (Tier-2) शहर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह वर्गीकरण आमतौर पर जनसंख्या, आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों जैसे कारकों पर आधारित होता है। टियर-2 शहर तेजी से बढ़ते और शहरीकरण वाले शहर होते हैं।

जनसंख्या: 2024 के अनुमानों के अनुसार, लखनऊ की आबादी लगभग 4 मिलियन (40 लाख) है। यह भारत का 11वां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है।

सरकारी वर्गीकरण (एचआरए उद्देश्य के लिए): भारत सरकार केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को मकान किराया भत्ता (HRA) देने के लिए शहरों को वर्गीकृत करती है। इस वर्गीकरण में, लखनऊ को ‘Y’ श्रेणी में रखा गया है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शहरों का वर्गीकरण अलग-अलग उद्देश्यों के लिए भिन्न हो सकता है।

प्रमुख नेता और राजनेता:

राजनाथ सिंह: ये लखनऊ के वर्तमान सांसद हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं। वे भारत के रक्षा मंत्री भी हैं।

योगी आदित्यनाथ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते, लखनऊ में उनका महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव है।

ब्रजेश पाठक: वे उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री हैं और लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

केशव प्रसाद मौर्य: वे भी उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री हैं।

रवींद्र जायसवाल: ये उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।

दयाशंकर सिंह: वे परिवहन विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।

अरमान खान: समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता हैं और लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

रविदास मेहरोत्रा: समाजवादी पार्टी के नेता हैं और लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

आनंद द्विवेदी: वे भाजपा के लखनऊ महानगर अध्यक्ष हैं।

अखिलेश यादव: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उनका लखनऊ में खासा राजनीतिक दखल है।

कौशल किशोर: वे मोहनलालगंज से सांसद हैं।

अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति:

विजय विश्वास पंत: वे लखनऊ के नए मंडलायुक्त (कमिश्नर) हैं।

रोशन जैकब: वे पूर्व में लखनऊ की कमिश्नर थीं और उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा था।

अंबी बिष्ट: वे मुलायम सिंह यादव के परिवार से जुड़ी एक अधिकारी हैं और लखनऊ नगर निगम में भी काम कर चुकी हैं।

ये कुछ प्रमुख नाम हैं जो लखनऊ की राजनीति और प्रशासन में अहम भूमिका निभाते हैं।

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ARYAN CHAUDHRI
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