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लीबिया: कोर्ट ने 12 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों को पिछले साल दो बांधों के टूटने के मामले में 27 साल तक की जेल की सज़ा सुनाई

लीबिया की एक कोर्ट ने रविवार को 12 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों को पिछले साल दो बांधों के टूटने के मामले में 27 साल तक की जेल की सज़ा सुनाई. बता दें कि बांध टूटने से शहर के बीचों-बीच कई मीटर ऊंची पानी की दीवार बन गई और हज़ारों लोग मारे गए थे.

12 अधिकारी दोषी करार

देश के शीर्ष अभियोक्ता के कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, रविवार को डेरना आपराधिक न्यायालय ने 12 वर्तमान और पूर्व अधिकारियों को कुप्रबंधन, लापरवाही और गलतियों के लिए दोषी ठहराया, जिनके कारण यह आपदा हुई. बयान में कहा गया है कि देश के बांधों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार प्रतिवादियों को नौ से 27 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई है, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई गई है. बयान में कहा गया है कि तीन प्रतिवादियों को अवैध लाभ से प्राप्त धन वापस करने का आदेश दिया गया है, लेकिन पूरी जानकारी नहीं दी गई है.

हाईकोर्ट में करेंगे अपील

लीबिया की न्यायिक प्रणाली के अनुसार, रविवार के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है. तेल से समृद्ध उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्र 2011 से अराजकता में है, जब नाटो समर्थित विद्रोह ने गृह युद्ध में लंबे समय तक तानाशाह रहे मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिसे बाद में मार दिया गया था. पिछले दशक के अधिकांश समय में, प्रतिद्वंद्वी प्रशासनों ने लीबिया का नेतृत्व करने का अधिकार जताया है. हर एक को सशस्त्र समूहों और विदेशी सरकारों का समर्थन प्राप्त है.

लीबियाई सेना का नियंत्रण

देश का पूर्वी भाग जनरल खलीफा हिफ़्टर और उनकी स्वयंभू लीबियाई राष्ट्रीय सेना के नियंत्रण में है, जो संसद द्वारा अनुमोदित सरकार के साथ संबद्ध है. राजधानी त्रिपोली में एक प्रतिद्वंद्वी प्रशासन स्थित है, जिसे अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त है. ये बांध 1970 के दशक में एक यूगोस्लाव निर्माण कंपनी द्वारा वाडी डेरना के ऊपर बनाए गए थे, जो शहर को विभाजित करने वाली नदी घाटी है. इनका उद्देश्य शहर को अचानक आने वाली बाढ़ से बचाना था, जो इस क्षेत्र में असामान्य नहीं है. वैज्ञानिकों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बावजूद कि ये बांध फट सकते हैं, दशकों तक इनका रखरखाव नहीं किया गया.

दोनों बांधों का नहीं किया गया रखरखाव

2021 में एक राज्य संचालित ऑडिट एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि 2012 और 2013 में इस उद्देश्य के लिए 2 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक के आवंटन के बावजूद दोनों बांधों का रखरखाव नहीं किया गया था. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) के अनुसार, बांधों से आए पानी के कारण डेरना के एक तिहाई आवास और बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंची है.

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