Breaking News

चित्रकार भारती दयाल की ‘मधुबनी पेंटिंग’ को कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड पर जगह दे विशेष सम्मान दिया

कहते हैं, एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है. अगर चित्र में कोई संदेश हो तो वह संदेश लोगों तक पहुंच जाता है. उसमें भी अगर मधुबनी पेंटिंग जैसी अतुलनीय पेंटिंग हो तो बात ही अलग है. मूलरूप से बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली मधुबनी पेंटिंग की मशहूर चित्रकार भारती दयाल भी मधुबनी पेंटिंग की उन चितेरों में शामिल हैं. जिनकी पेंटिंग की सराहना बखूबी की जाती है. भारती दयाल के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड है, जो संभवत पूरे भारत में किसी भी आर्टिस्ट के नाम नहीं है.

भारती दयाल की पेंटिंग को देश के करीब करीब हर बडे शहरों में होने वाले एक्जिबिशन में सम्मान मिलता रहा है. मधुबनी पेंटिंग शैली में बनायी गयी उनकी पेंटिंग को बखूबी सराहना मिलती रही है. आये दिन उनको देश के अलग-अलग शहरों में होने वाले एक्जिबिशन में सादर आमंत्रित किया जाता है.

कोटक महिंद्रा बैंक ने दिया अनोखा सम्मान

भारती दयाल को जितने भी सम्मान मिले हैं, उनमें सबसे अलग है देश के प्रमुख बैंकों में शुमार कोटक महिंद्रा बैंक से मिलने वाला सम्मान सबसे अनोखा है. कोटक महिंद्रा बैंक भारती दयाल की मधुबनी पेंटिंग को अपने क्रेडिट कार्ड पर इस्तेमाल करता है. देश में भारती दयाल संभवत पहली ऐसी चित्रकार हैं, जिनकी पेंटिंग को किसी बैंक ने अपने क्रेडिट कार्ड पर जगह दी है.

कैसे मिला यह मौका?

इस बारे में भारती बताती हैं, 2016 में वूमेंस डे का मौका था. कोटक महिंद्रा बैंक की डायरेक्टर ने मुझे फोन किया और उन्होंने कहा कि आने वाले वूमेंस डे पर कोटक महिंद्रा विशेष रूप से महिलाओं और खास कर उन महिलाओं के लिए जो सेल्फ इंस्पायर हैं, उनके लिए एक बहुत नायाब प्रोडक्ट लॉन्च करने की तैयारी में है, जो क्रेडिट कार्ड के रूप में होगा. यह क्रेडिट कार्ड प्लैटिनम होगा और प्रिविलेज होगा. विशेष रूप से यह क्रेडिट कार्ड महिलाओं के लिए होगा.

इसे दो तरीके कल्चर सिग्निफिकेंट के साथ-साथ फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस से जोड़ा जाएगा. यह कार्ड विशेष रूप से इसलिए मुझसे डिजाइन कराया गया क्योंकि यह मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग था. मुझे अपनी एक अपनी पेंटिंग में कल्चर सिग्निफिकेंट और फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस को दर्शाना था. इसलिए मुझे अपनी मधुबनी आर्ट में कोई भी समझौता भी नहीं करना था.

पर्सनली नहीं जानता था बैंक

भारती कहती हैं, बैंक मुझे पर्सनली नहीं जानता था. दरअसल बैंक के आला अधिकारियों को यह टास्क दिया गया था कि ऐसे आर्टिस्ट को खोजा जाए, जो सेल्फ इंस्पायर हो और अपना अलग मुकाम हासिल किया हो. बैंक ने अपनी प्राथमिकता को भी तय कर रखा था कि उसे पेंटिंग में क्या क्या चाहिए? इसी क्रम में बैंक के एक डायरेक्टर लेवल की अधिकारी ने संपर्क किया. बैंक से मेरी बात हुई फिर मैंने भी इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार कर लिया.

बनानी पड़ी कई पेंटिंग

भारती बताती हैं, बैंक की जरूरत के अनुसार मैंने कम से कम 12 पेंटिंग को बनाया था. सब में अलग-अलग इमेज थी, लेकिन सब में यह दोनों मैसेज रहते थे. इन सबको बनाने और कोटक महिंद्रा तक भेजने में मुझे करीब तीन माह का वक्त लगा क्योंकि इस दौरान मेरा पैर भी टूट गया था. मैं पेंटिंग को बनाती थी और उनको भेज देती थी. मुझे कार्ड के लिए छोटी पेंटिंग बनानी पड़ती थी. तीन महीने में 12 पेंटिंग को बना कर भेजने के बाद उसमें से मेरी एक पेंटिंग को कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने प्रिविलेज क्रेडिट कार्ड के लिए चयनित किया.

2016 में चुनी गई थी पेंटिंग

2016 में जिस पेंटिंग को बैंक ने चुना. वह पेंटिंग आज भी कोटक महिंद्रा बैंक के कार्ड पर छपी रहती है. बैंक ने इस कार्ड को विशेष रूप से वूमेंस डे के मौके पर मुंबई में लॉन्च किया था. बैंक का कहना था कि इस पेंटिंग में कल्चरल सिग्निफिकेंट के साथ-साथ फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस भी शामिल है. इस कार्ड को जो भी महिलाएं लेती हैं, वह खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं. भारती बताती हैं, इस प्रोजेक्ट से जुडना और इसको प्रॉपर रिप्रेजेंट करना मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग रहा, जब मेरी पेंटिंग चयनित हुई और सफल हुई तो मुझे बहुत खुशी हुई.

घर से ही सीखने की शुरुआत

भारती बताती हैं, मधुबनी पेंटिंग के प्रति उनका पहला रूझान उनके घर से ही शुरू हुआ. वह कहती हैं, घर में उनकी दादी और मां दोनों मधुबनी पेंटिंग करती थी. हमारे घर में एक तरह से यह संस्कार है. हर फेस्टिवल पर घर में मधुबनी पेंटिंग बनती थी. उन्हीं लोगों से मैंने सीखा है. मां दादी जब भी घर में अर्पण करती थी, मुझे वहां बैठा दिया करती थी. मेरा काम उस अर्पण में रंग भरने का होता था. हालांकि तब हम लोगों को स्केच करने के लिए नहीं दिया जाता था, लेकिन जो भी बच्चे होते थे. उन लोगों को रंग भरने की जिम्मेदारी दे दी जाती थी.

नहीं मुस्कुराती थी मां की राधारानी

भारती बताती हैं, इन पेंटिंग को देखने के दौरान एक और बात को मैं तब नोटिस करती थी. दरअसल किसी बात पर मेरी दादी मां और मेरी मां के बीच कोई कहासुनी हो जाती थी और उसके बाद मेरी मां कई पेंटिंग बनाती थी, तब मां की पेंटिंग की राधारानी मुस्कुराती नहीं थी. यह मुझे बहुत इंटरेस्टिंग लगता था. तब मेरी उम्र सात या आठ साल की रही होगी जब से मैंने इन इमोशंस को समझना शुरू किया. वह कहती हैं, आर्ट एक ऐसा जरिया होता है, जिसमें आप इमोशंस को बखूबी दर्शा सकते हैं. इसीलिए मिथिला पेंटिंग को संभवत आर्ट फॉर्म का सबसे बेहतरीन फार्म माना जाता है. मैं इस पेंटिंग में अपने हृदय, आत्मा और दिमाग तीनों से ही इंवॉल्व हो जाती हूं.

मिल चुके हैं कई सम्मान

भारती न केवल पेंटिंग में अव्वल हैं, बल्कि स्टडी में भी उनका रिकॉर्ड बेहतर रहा है. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढाई समस्तीपुर के काशीपुर में स्थित गर्ल्स हाई स्कूल से पूरी की. इसके बाद उन्होंने अपनी कॉलेज की स्टडी सीएम साइंस कॉलेज, दरभंगा से पूरी की, जहां उन्होंने बॉटनी में गोल्ड मेडल हासिल किया. भारती ने अपनी पीजी की स्टडी ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी दरभंगा से पूरी की है.

2012 में मिला विशिष्ट बिहारी सम्मान

भारती को इससे पहले 2012 में विशिष्ट बिहारी सम्मान, 2021 में बिहार दिवस के मौके पर बिहार गौरव सम्मान के अलावा कई अन्य सम्मान से नवाजा जा चुका है. हाल ही में देश के प्रमुख शहरों में नायाब एग्जिबिशन के नाम से आयोजित कार्यक्रम में इन्होंने हिस्सा भी लिया है, जिसमें देश की जाने माने 70 कलाकारों ने अपनी पेंटिंग को प्रदर्शित किया है. भारती इतना सम्मान पाने के बाद भी अपने जड को नहीं भूली हैं. वह आज भी महिलाओं को आगे बढने के लिए काम करती हैं. उन्हें मधुबनी पेंटिंग के बारे में जानकारी देती हैं. वह कहती हैं, जिंदगी में अपना सफर और उस सफर से प्यार करना सबसे अहम होता है.

About admin

admin

Check Also

दिल्ली: आज से महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजनाओं के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, AAP के कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाकर रजिस्ट्रेशन करेंगे, किन महिलाओं को मिलेंगे हर महीने 2100 रुपये, आज से कैसे होंगे रजिस्ट्रेशन

दिल्ली में ‘महिला सम्मान योजना’ के लिए आज से रजिस्ट्रेशन शुरू हो रहे हैं. इस …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *