हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में 1 से 26 अगस्त तक किन्नर कैलाश यात्रा होगी. रिकांगापिओ में किन्नर कैलाश यात्रा को लेकर केंद्रीय मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई. इस बार बैठक में किन्नर कैलाश यात्रा को दो जगहों से शुरू करने का फैसला लिया गया है. किन्नर कैलाश यात्रा तांगलिंग मार्ग के साथ-साथ पूर्वनी मार्ग से भी शुरू की जाएगी. दो तरफ से शुरू करने के कारण भक्तों को कैलाश यात्रा में सरलता और सुगमता रहेगी.
इस बार राज्य में मौसम खराब होने के कारण किन्नर कैलाश यात्रा को देर से शुरू किया जा रहा है. यात्रियों की सुविधा के लिए फॉरेस्ट, पुलिस सहित अन्य जवानों की तैनाती की गई है. साथ ही किसी भी समस्या की स्थिति में मेडिकल सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है. इस यात्रा में रास्ते में मौजूद तमाम ढाबों पर खाने के रेट को भी तय किया जाएगा.
बार-बार बदलता है शिवलिंग का रंग
किन्नर कैलाश की यात्रा काफी कठिन है. यह यात्रा मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी ज्यादा मुश्किल माना जाता है. इस यात्रा को पूरा करने में दो से तीन दिन लग जाते हैं. इस यात्रा को 1993 में शुरू किया गया था.ऐसी मान्यता है कि किन्रर कैलाश में शिवलिंग का रंग दिन में कई बार बदलता है.
किन्नर कैलाश हिमालय पर्वत शृंखला में है. यहां जाने के लिए कालका रेलवे स्टेशन सबसे पास में है. किन्नर कैलाश से लगभग 243 किलोमीटर की दूरी पर शिमला हवाई अड्डा मौजूद है.
सावन के महीने में करते हैं यात्रा
हर साल सावन के महीने में किन्नर कैलाश यात्रा की जाती है. भक्त दूर-दूर से महादेव और माता पार्वती के दर्शन के लिए इस पहाड़ों के दुर्गम रास्तों को पार करते हुए यहां आते हैं. इस यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में ब्रह्म कमल के फूल दिखाई देतें हैं. ऐसी मान्यता है कि ब्रह्म कमल के महादेव के फूल काफी पसंद हैं. इस यात्रा को पूरा करने के लिए पोवरी से सतलुज नदी को पार करके तंगलिंग गांव को पार करके जाना होता है.